रांची: राज्य सरकार की ओर से 18 माह बाद भी दो चिकित्सकों पर कार्रवाई नहीं की गयी है. श्रम नियोजन, प्रशिक्षण और कौशल विकास विभाग की ओर से गलत उपस्थिति बनाने के आरोपी चिकित्सक डॉ कुमारी प्रभावती और डॉ अमरेंद्र कुमार पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है.
रामगढ़ के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजी थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य बीमा चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में पदस्थापित उपरोक्त चिकित्सकों ने अपने अधीनस्थ कर्मियों के खिलाफ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए अमर्यादित व्यवहार किया. रामगढ़ एसपी ने रिपोर्ट में यह भी कहा था कि उन्होंने मामले की खुद जांच की है. उन्होंने पर्यवेक्षण रिपोर्ट में अभियुक्तों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति उचित माध्यम से देने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा कि विभाग से स्वीकृति नहीं मिलने पर मांडू थाना (कुजू) में दर्ज प्राथिमिकी पर अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है.
क्या है मामला
दोनों चिकित्सकों पर अक्सर कार्यालय में अनुपस्थित रहने और बाद में अपनी अनुपस्थिति को मिटा उपस्थिति दर्ज कराने का आरोप है. अनुपस्थिति की अवधि का वेतन भी बनाने के मामले में लिपिक विनय रविदास, पदचर फ्रांसिस मुंडा, फार्मासिस्ट केके सिन्हा, एएनएम बेर्निदेंत एक्का, राजेंद्र प्रसाद और अन्य से पुलिस ने बयान भी लिया था. इनका कहना था कि दोनों चिकित्सक अनुसूचित जाति, जनजाति संवर्ग के तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के साथ जातिसूचक शब्दों सहित अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते थे.