आज भी नेपाल हाउस, प्रोजेक्ट भवन, एमडीआइ, एफएफपी भवन जहां सरकार के सचिवालय हैं, वहां एलइडी की जगह सीएफएल और सामान्य बल्ब लगे हुए हैं. इसी तरह अन्य सरकारी कार्यालयों की भी यही स्थिति है.
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विडंबना: सबको बांट रहा है, लेकिन बिजली बोर्ड कार्यालय में ही एलइडी बल्ब नहीं
रांची : झारखंड के घरेलू उपभोक्ताओं के बीच एलइडी बल्ब का वितरण किया जा रहा है. अब तक 14 लाख एलइडी बल्ब वितरित किये जा चुके हैं. एलइडी बल्ब वितरित किये जाने के पीछे मूल उद्देश्य है कि बिजली की खपत कम की जा सके. एक एलइडी बल्ब लगाने से एक उपभोक्ता को सालाना 150 […]
रांची : झारखंड के घरेलू उपभोक्ताओं के बीच एलइडी बल्ब का वितरण किया जा रहा है. अब तक 14 लाख एलइडी बल्ब वितरित किये जा चुके हैं. एलइडी बल्ब वितरित किये जाने के पीछे मूल उद्देश्य है कि बिजली की खपत कम की जा सके. एक एलइडी बल्ब लगाने से एक उपभोक्ता को सालाना 150 रुपये बिजली बिल की बचत होती है. दूसरी ओर झारखंड के सरकारी भवनों, जहां ज्यादा बिजली की खपत होती है, वहां एलइडी बल्ब नहीं लगा है. यहां तक कि इस योजना की मॉनिटरिंग करनेवाले झारखंड बिजली वितरण निगम के बोर्ड मुख्यालय में भी एलइडी बल्ब नहीं लगा है.
आज भी नेपाल हाउस, प्रोजेक्ट भवन, एमडीआइ, एफएफपी भवन जहां सरकार के सचिवालय हैं, वहां एलइडी की जगह सीएफएल और सामान्य बल्ब लगे हुए हैं. इसी तरह अन्य सरकारी कार्यालयों की भी यही स्थिति है.
सचिवालय में बिजली की भारी खपत, एलइडी से होगी बचत
सचिवालय में बिजली की खपत काफी होती है. यहां रोशनी के अलावा एसी, पंखे, हीटर, कंप्यूटर, प्रोजेक्टर जैसे उपकरण लगे हुए हैं. जिसके चलते बिजली की खपत ज्यादा होती है. प्रोजेक्ट भवन में प्रतिमाह औसतन आठ लाख रुपये की बिजली खपत होती है. नेपाल हाउस सचिवालय में भी छह लाख रुपये प्रतिमाह बिजली की खपत होती है. बिजली बोर्ड मुख्यालय में प्रति माह डेढ़ से दो लाख रुपये तक की बिजली की खपत होती है.
एलइडी वितरण से अब तक 45 मेगावाट बिजली की बचत
संपूर्ण झारखंड में लगभग 2100 मेगावाट बिजली की आपूर्ति प्रतिदिन होती है. भारत सरकार के डोमेस्टिक्ट इफिशियेंसी लाइटिंग प्रोग्राम(डीइएलपी) के तहत घरेलू उपभोक्ताओं को एक सौ रुपये में नौ वाट का एक एलइडी बल्ब दिया जा रहा है. एक उपभोक्ता को अधिकतम 10 एलइडी बल्ब दिये जा रहे हैं. यह काम एनर्जी इफिशियेंट सर्विस लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है.
27 जनवरी तक झारखंड में 14 लाख एलइडी बल्ब का वितरण किया जा चुका है. इससे लगभग 45 मेगावाट बिजली की बचत हुई है. झारखंड घरेलू उपभोक्ताओं के बीच तीन करोड़ से अधिक एलइडी बल्ब के वितरण का लक्ष्य रखा गया है. करीब एक 800 मेगावाट बिजली बचत होने का अनुमान है.
सरकारी भवनों के लिए अलग से है योजना : एमडी
झारखंड बिजली वितरण निगम के एमडी राहुल पुरवार ने कहा कि भारत सरकार ने अभी केवल घरेलू उपभोक्ताओं के लिए योजना आरंभ की है. यही वजह है कि एलइडी केवल घरेलू उपभोक्ताओं को ही दिये जा रहे हैं. सरकारी भवनों के लिए अलग से योजना इइएसएल द्वारा तैयार की गयी है. इसके तहत सरकारी भवनों में सारे बल्ब व अन्य वैसे उपकरण जिनसे ज्यादा बिजली की खपत होती है, उन्हें बदला जायेगा. इसकी जगह एलइडी बल्ब व कम बिजली खपत करने वाले उपकरण लगाये जायेंगे. इइएसएल के साथ ही जल्द ही प्रोजेक्ट भवन के लिए एमओयू किया जा रहा है. एमओयू के बाद प्रोजेक्ट भवन के सारे उपकरण बदले जायेंगे. इससे जो बिजली की बचत होगी उसकी 90 फीसदी राशि इइएसएल पांच वर्षों तक के लिए लेगी. शेष 10 फीसदी राशि सरकार को वापस कर देगी. प्रोजेक्ट भवन के बाद बारी-बारी से अन्य सभी सरकारी भवनों में इइएसएल द्वारा योजना चलायी जायेगी. वितरण निगम बिजली बचत करने के लिए प्रतिबद्ध है.
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