इनके खिलाफ जीआर-157/96 और टीआर-319/05 के तहत मुकदमा चल रहा है. इस मामले में मोहन पांडेय को गिरफ्तार कर 24 अप्रैल 2006 को जेल भेजा गया था. इन्हें केंद्रीय कारा दुमका में रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत वैसे विचाराधीन कैदी, जिन्होंने अधिकतम सजा की आधी सजा काट ली है, उन्हें जमानत का रिहा किया जा सकता है. इस मामले में मोहन पांडेय को डेढ़ साल तक सजा काटने के बाद जमानत दी जा सकती थी. यह खुलासा केंद्रीय कारा दुमका के अधीक्षक द्वारा सूचना अधिकार के तहत दी गयी जानकारी से हुआ है. केंद्रीय कारा दुमका के अधीक्षक की ओर से न्यायिक हिरासत में एक वर्ष से अधिक समय से रह रहे विचाराधीन बंदियों की सूची दी गयी है. इसमें बंदियों पर चलाये जा रहे धारा का भी उल्लेख किया गया है.
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कोर्ट: आधी सजा काट चुके कैदियों को जमानत देने का है प्रावधान, पर अधिकतम सजा तीन साल की, पर नौ साल रहे जेल में
रांची: भागलपुर के शेखपुरा निवासी मोहन पांडेय उर्फ मुन्ना पांडेय के खिलाफ पिछले नौ साल से ट्रायल चल रहा है. इनके खिलाफ आइपीसी की धारा 384 के तहत प्रताड़ित करने का मामला दर्ज कराया गया है. इस धारा के तहत किसी भी व्यक्ति को अधिकतम तीन साल की सजा देने का प्रावधान है. इनके खिलाफ […]
रांची: भागलपुर के शेखपुरा निवासी मोहन पांडेय उर्फ मुन्ना पांडेय के खिलाफ पिछले नौ साल से ट्रायल चल रहा है. इनके खिलाफ आइपीसी की धारा 384 के तहत प्रताड़ित करने का मामला दर्ज कराया गया है. इस धारा के तहत किसी भी व्यक्ति को अधिकतम तीन साल की सजा देने का प्रावधान है.
इनके खिलाफ जीआर-157/96 और टीआर-319/05 के तहत मुकदमा चल रहा है. इस मामले में मोहन पांडेय को गिरफ्तार कर 24 अप्रैल 2006 को जेल भेजा गया था. इन्हें केंद्रीय कारा दुमका में रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत वैसे विचाराधीन कैदी, जिन्होंने अधिकतम सजा की आधी सजा काट ली है, उन्हें जमानत का रिहा किया जा सकता है. इस मामले में मोहन पांडेय को डेढ़ साल तक सजा काटने के बाद जमानत दी जा सकती थी. यह खुलासा केंद्रीय कारा दुमका के अधीक्षक द्वारा सूचना अधिकार के तहत दी गयी जानकारी से हुआ है. केंद्रीय कारा दुमका के अधीक्षक की ओर से न्यायिक हिरासत में एक वर्ष से अधिक समय से रह रहे विचाराधीन बंदियों की सूची दी गयी है. इसमें बंदियों पर चलाये जा रहे धारा का भी उल्लेख किया गया है.
जमानत पर छोड़ने का है प्रावधान
झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता सह आरटीआइ कार्यकर्ता सुनील कुमार महतो ने बताया कि वर्ष 2005 में सीआरपीसी की धारा 436 ए का प्रावधान किया गया. इसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि आधी सजा काट चुके विचाराधीन बंदियों को जमानत पर छोड़ा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट ने इस प्रावधान के तहत आदेश भी दिये हैं. इस प्रावधान के तहत कई कैदियों को अदालत से जमानत भी मिल चुकी है.
एक साल से बंद हैं कैदी
दुमका केंद्रीय कारा में एक साल से अधिक समय से 271 विचाराधीन कैदी बंद हैं. कई मामलों में विचाराधीन कैदियों पर हत्या व दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोप हैं. पाकुड़ के भरत हेंब्रम के खिलाफ पिछले चार साल से ट्रायल चल रहा है. दुमका निवासी रंजन उर्फ बुचू भगत के खिलाफ छह साल से ट्रायल चल रहा है.
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