रांची: इस्ट जेल रोड के रतन सिंह रोड निवासी व्यवसायी पवन अग्रवाल की हत्या का खुलासा पुलिस नहीं कर पायी. हत्या रहस्य बन कर रह गया. हत्या किसने और क्यों की थी, किसरे इशारे पर हुई थी, पुलिस इसका पता भी नहीं लगा पायी. इस हत्याकांड के मामले में सिटी डीएसपी व सिटी एसपी ने […]
रांची: इस्ट जेल रोड के रतन सिंह रोड निवासी व्यवसायी पवन अग्रवाल की हत्या का खुलासा पुलिस नहीं कर पायी. हत्या रहस्य बन कर रह गया. हत्या किसने और क्यों की थी, किसरे इशारे पर हुई थी, पुलिस इसका पता भी नहीं लगा पायी. इस हत्याकांड के मामले में सिटी डीएसपी व सिटी एसपी ने जांच कर रिपोर्ट जारी की. अनुसंधान में भी हत्या की बात को सही पाया गया, लेकिन हत्यारों तक पुलिस नहीं पहुंच पायी. अंतत: पुलिस ने केस का अनुसंधान ही छोड़ दिया. हालांकि पुलिस के आला अधिकारियों ने पवन अग्रवाल के परिजनों को शीघ्र हत्या का खुलासा करने का आश्वासन दिया था.
ज्ञात हो कि 18 सितंबर, 2014 की रात करीब आठ बजे पवन अग्रवाल की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. अपराधियों ने उन्हें घर के समीप तीन गोली मारी गयी थी. घटना उस वक्त घटी थी, जब वह अपर बाजार स्थित अपनी दुकान से घर पहुंचनेवाले थे. गोली लगने के बाद उन्हें सेंटेविटा अस्पताल ले जाया गया था, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था.
घटना के बाद पुलिस को आरंभिक जांच में पता चला कि व्यवसायी की हत्या जमीन विवाद के कारण हुई है. पुलिस ने पूछताछ के लिए कुछ जमीन कारोबारियों को हिरासत में लिया था, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. इसके बाद आगे की जांच नहीं हुई. पूछताछ में परिजनों ने बताया था कि उनका जमीन या संपत्ति को लेकर किसी से विवाद नहीं था.
रिश्तेदारों पर भी था संदेह
जांच में पुलिस ने अनुमान लगाया था कि पवन अग्रवाल की हत्या से पहले उनकी रेकी हुई थी. अपराधियों को जानकारी थी कि वे दुकान से कब घर आते हैं, उनका घर कहां है. पुलिस को आशंका थी कि हत्याकांड में पवन अग्रवाल के नजदीकी लोगों का भी हाथ हो सकता है. पुलिस ने तकनीकी शाखा की मदद से कुछ लोगों का मोबाइल लोकेशन भी निकाला. पुलिस को कुछ संदिग्धों पर भी शक हुआ. मोबाइल नंबर की जांच के बाद पुलिस ने अनुमान लगाया कि पवन अग्रवाल के किसी परिचित ने बिहार के शूटरों को सुपारी देकर उनकी हत्या करवा दी, लेकिन जांच में साक्ष्य नहीं मिले.