खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि सरकार की आवास नीति देखने के बाद ही कोर्ट अपना फैसला सुनायेगा. ऐसा लगता है कि आइएएस अफसरों ने अपने लिए जमीन आवंटन करा लिया. अन्य लोगों का ध्यान नहीं रखा गया. खंडपीठ ने कहा कि ज्यूडिशियल अफसरों व अधिवक्ताअों के लिए क्या जमीन नहीं मिलनी चाहिए? आइएएस अॉफिसर पावरवाले होते हैं? उनसे अच्छा ड्रॉफ्ट काैन कर सकता है.
इससे पूर्व राज्य सरकार की अोर से बताया गया कि आवास नीति का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है. इसे एक माह में अधिसूचित कर दिया जायेगा. प्रतिवादी सिविल सर्विसेज को-अॉपरेटिव सोसाइटी की अोर से सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी विमल कीर्ति सिंह ने खंडपीठ को बताया कि सोसाइटी को कांके अंचल के सांगा माैजा में जो जमीन आवंटित की गयी है, वह पूरी तरह से विधिसम्मत है. सरकार के नियम के तहत है. सोसाइटी के सदस्यों ने अपनी जमा पूंजी से पैसा का भुगतान किया है. आज उसकी लागत दोगुनी से अधिक हो गयी है. उन्होंने रोक हटाने का आग्रह किया. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखा. मालूम हो कि प्रार्थी विशाल कुमार ने जनहित याचिका दायर कर सिविल सर्विसेज सोसाइटी को सांगा माैजा में कम मूल्य पर सरकारी जमीन आवंटित करने का आरोप लगाया है. सांगा गांव में सोसाइटी को लगभग 75 एकड़ से अधिक जमीन आवंटित की गयी है.