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महिला हिंसा और उत्पीड़न के 4536 मामले दर्ज

रांची: आक्सफैम संस्था की ओर से शनिवार को झारखंड में हो रही महिला हिंसा और उत्पीड़न की घटनाओं पर आंकड़े जारी किये गये हैं. संस्था की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012 में राज्य भर में महिला हिंसा और उत्पीड़न के 4536 मामले दर्ज किये गये. इनमें बलात्कार के 812 मामले, […]

रांची: आक्सफैम संस्था की ओर से शनिवार को झारखंड में हो रही महिला हिंसा और उत्पीड़न की घटनाओं पर आंकड़े जारी किये गये हैं. संस्था की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012 में राज्य भर में महिला हिंसा और उत्पीड़न के 4536 मामले दर्ज किये गये. इनमें बलात्कार के 812 मामले, दहेज हत्या के 302 मामले, पति और रिश्तेदारों की प्रताड़ना के 301, अपहरण के 786 और डायन हत्या के 31 मामले दर्ज किये गये. आक्सफैम के पीके प्रवीण ने बताया कि यह आंकड़े नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की ओर से जारी किये गये हैं.

वहीं राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 के आंकड़े के अनुसार राज्य में प्रत्येक तीसरी विवाहित महिला अपने पति की प्रताड़ना का शिकार है. 17 प्रतिशत मामलों में विवाहित महिलाओं के हाथों को मरोड़ने और बाल खींचने की बातें सामने आयी हैं. 14 प्रतिशत महिलाओं को धक्का देने, नीचे धकेल देने और झकझोरने की बातें भी प्रमाणिक हुई हैं. उन्होंने कहा कि राज्य की 13 प्रतिशत महिलाएं अपने पति से मार खाती हैं. जबकि चौंकाऊ नतीजा यह है कि 12 प्रतिशत मामलों में पति के द्वारा जबरन अपनी पत्नियों को यौन उत्पीड़न के लिए मजबूर करने की बातें पुष्ट हुई हैं. रिपोर्ट में 51 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी व्यथा नहीं बतायी है.

एक अन्य रिपोर्ट में यह बताया गया कि 30 हजार जनजातीय महिलाओं और युवतियों को दूसरे महानगरों में ट्रैफिकिंग के माध्यम से भेजा जा रहा है. संस्था के रिजनल मैनेजर श्री प्रवीण ने कहा कि महिला हिंसा और उत्पीड़न रोकने के लिए सरकार के स्तर पर कई कानून बनाये गये हैं, पर उसका अनुपालन सही तरीके से नहीं हो रहा है. इसलिए यह जरूरी है कि झारखंड में महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाया जाये, राज्य में घरेलू हिंसा कानून 2005, दहेज निषेध अधिनियम 1961 और कार्य स्थल पर महिलाओं के साथ होनेवाले र्दुव्‍यवहार और शारीरिक शोषण से बचाने की दिशा में सार्थक प्रयास किया जाये.

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