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विभाग के पास 7500 शिकायतें

रांची : मनरेगा से संबंधित 7500 शिकायतें ग्रामीण विकास विभाग के पास है. ये शिकायतें वर्षों पुरानी भी है. अब इन सारी शिकायतों को गंभीरता से देखा जा रहा है. इसके लिए मनरेगा कोषांग तेजी से काम कर रहा है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी शिकायतों के निबटारे के लिए अलग कोषांग गठित करने को […]

रांची : मनरेगा से संबंधित 7500 शिकायतें ग्रामीण विकास विभाग के पास है. ये शिकायतें वर्षों पुरानी भी है. अब इन सारी शिकायतों को गंभीरता से देखा जा रहा है. इसके लिए मनरेगा कोषांग तेजी से काम कर रहा है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी शिकायतों के निबटारे के लिए अलग कोषांग गठित करने को कहा है. साथ ही यह निर्देश दिया है कि तेजी से इसका निष्पादन हो. इसके बाद ही मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने विभागीय कर्मियों के साथ निष्पादन शुरू कर दिया है. पहली बार कमिश्नरी लेबल पर शिकायतों की जांच की जायेगी.

इसकी तैयारी कर ली गयी है. पांचों प्रमंडलीय आयुक्तों को उनसे संबंधित शिकायतें भेजी जा रही हैं. उन्हें अपने स्तर से इसकी जांच कराने को कहा गया है. वहीं छोटे-छोटे मामलों की जांच जिला स्तर पर करायी जायेगी. जिलों में डीसी व डीडीसी के पास शिकायतें भेजी जायेंगी. उन्हें यह निर्देश दिया जा रहा है कि व्यक्तिगत रूप से इन मामलों को देखें. जिला स्तर के अधिकारी से जांच करायें. जिला व प्रमंडल स्तर पर जांच कर रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जायेगी. बड़े मामलों को मुख्यालय अपने स्तर से देखेगा.
बीडीअो के भरोसे नहीं रहेगा विभाग
विभाग अब शिकायतों व आरोपों की जांच के मामले में प्रखंड विकास पदाधिकारी पर निर्भर नहीं रहेगा. क्योंकि मामले सीधे तौर पर बीडीअो व बीपीअो सहित प्रखंड स्तर के कर्मियों से संबंधित होते हैं. ऐसे में वे अपने हिसाब से रिपोर्ट भेज देते हैं. अब तक 90 फीसदी मामले में जांच रिपोर्ट बीडीअो के स्तर से आ रही थी, लेकिन अब उन्हें इससे दूर रखा जायेगा. जिला, प्रमंडल या मुख्यालय स्तर पर पदाधिकारी सीधे प्रखंड में जाकर जांच करेंगे.
ज्यादा शिकायतें पलामू व कोल्हान से
मनरेगा कोषांग के पास जो शिकायतें पहुंची हैं, उसमें सबसे ज्यादा पलामू व कोल्हान के हैं. इन दोनों प्रमंडलों से सबसे ज्यादा शिकायतें पहुंच रही हैं. करीब 4000 शिकायतें इन्हीं दोनों प्रमंडलों से संबंधित हैं. शेष 3500 अन्य तीन प्रमंडलों से पहुंची हैं. काफी समय से ये शिकायतें यहां पड़ी हुई थीं.
अब जांच में नहीं लगेगा साल-दो साल
शिकायतों व आरोपों की जांच में अब पहले की तरह साल-दो साल नहीं लगेगा. पहले मामलों की जांच में चार-पांच साल भी लग जाते थे. अगर रिपोर्ट आ गयी, तो भी कार्रवाई का मामला लंबित रहता था.

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