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चीफ जस्टिस की पीठ ने पुलिस काे बुलाया, कोर्ट रूम से ही चार काे भेजा जेल
रांची: झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने क्रिमिनल अपील पर सुनवाई करते हुए गुमला के चार अपीलकर्ताअों का बेल बांड खारिज करते हुए उन्हें कोर्ट रूम से ही जेल भेज दिया. इनके द्वारा एक साथ दो-दो अपील दायर कर गुमराह किये जाने से अदालत काफी […]
रांची: झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने क्रिमिनल अपील पर सुनवाई करते हुए गुमला के चार अपीलकर्ताअों का बेल बांड खारिज करते हुए उन्हें कोर्ट रूम से ही जेल भेज दिया. इनके द्वारा एक साथ दो-दो अपील दायर कर गुमराह किये जाने से अदालत काफी नाराज थी. प्रार्थी नयन उरांव व अन्य की अोर से वर्ष 2004 में दो क्रिमिनल अपील दायर की गयी थी. एक अपील में जमानत आवेदन खारिज (12 मई 2004 को) हो गया था, जबकि एक मामले (अपील संख्या 186/2004) में कोर्ट ने आठ नवंबर 2004 को जमानत प्रदान कर दी थी.
अपीलकर्ताअों को अदालत में बुलाया था : मामले की जानकारी मिलने के बाद कोर्ट ने पूर्व में अपील याचिका की सुनवाई के दाैरान अपीलकर्ताअों को शो कॉज जारी कर सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया था. शुक्रवार काे सुनवाई के दाैरान सभी अपीलकर्ता उपस्थित थे. खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान नाराजगी जतायी.
कोर्ट में पुलिस काे बुलाया गया. प्रोटोकॉल अॉफिसर पुलिस के साथ अदालत कक्ष में पहुंचे. खंडपीठ ने पुलिस को अपीलकर्ता नयन उरांव, एतवा उरांव, छोटुवा उरांव व बुद्धेश्वर उरांव को गिरफ्तार करने आैर बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार होटवार में बंद करने का आदेश दिया. पुलिस ने तत्काल चारों को गिरफ्तार कर लिया.
हाइकोर्ट मजाक बरदास्त नहीं कर सकता : खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि प्रार्थी को सच्चाई बतानी चाहिए. एक साथ दो-दो अपील क्यों दायर की गयी. हाइकोर्ट मजाक बरदास्त नहीं कर सकता है. यह गंभीर मामला है. इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है. राज्य सरकार की अोर से अधिवक्ता रवि कुमार सिंह ने पक्ष रखा. उधर, हाइकोर्ट के आदेश के बाद रजिस्ट्री विभाग ने आवश्यक कागजी कार्रवाई की. देर शाम तक चारों को जेल भेज दिया गया.
इन्हें भेजा गया जेल : नयन उरांव, एतवा उरांव, छोटुवा उरांव व बुद्धेश्वर उरांव
क्या है मामला : गुमला की निचली अदालत ने वर्ष 2004 में हत्या के मामले में दोषी पाकर नयन उरांव, एतवा उरांव, छोटुवा उरांव व बुद्धेश्वर उरांव को आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. इनकी अोर से हाइकोर्ट में अपील संख्या 186/2004 दायर निचली अदालत के आदेश को चुनाैती दी गयी थी. आरोपियों की अोर से एक आैर अपील (संख्या 574/2004) दायर कर दी गयी थी.
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