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बेटे को पाने के लिए 30 घंटे तक भटकता रहा दंपती

रांची : साढ़े तेरह साल के बेटे सूरज महतो को पाने के लिए विजय महतो व पूर्णिमा महतो को 30 घंटे तक भटकना पड़ा़ वे कभी धुर्वा थाना, कभी जगन्नाथपुर थाना, कभी सीडब्ल्यूसी तो कभी चाइल्ड लाइन में दौड़ते-भागते रहे. गुरुवार को दिन के 11़ 30 बजे से शुक्रवार शाम 5़ 30 बजे तक भटकते […]

रांची : साढ़े तेरह साल के बेटे सूरज महतो को पाने के लिए विजय महतो व पूर्णिमा महतो को 30 घंटे तक भटकना पड़ा़ वे कभी धुर्वा थाना, कभी जगन्नाथपुर थाना, कभी सीडब्ल्यूसी तो कभी चाइल्ड लाइन में दौड़ते-भागते रहे. गुरुवार को दिन के 11़ 30 बजे से शुक्रवार शाम 5़ 30 बजे तक भटकते रहे़ .
पूर्णिमा महतो एक ही बात कहे जा रही थी कि हमें न्याय चाहिए़ उन्होंने कहा कि गुरुवार को जगन्नाथपुर थाना, उसके बाद शुक्रवार की सुबह से चाइल्ड लाइन कोकर व बाद में जिला समारहणालय स्थित सीडब्ल्युसी (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) के कार्यालय का चक्कर लगाते-लगाते थक गये हैं. विजय महतो ने बताया कि उनके बच्चे को अॉपरेशन मुस्कान के तहत बाल मजदूर समझ कर उठा लिया गया था़ वहां से जगन्नाथपुर थाना लाया गया़ थाना में बहुत मिन्नत करने के बाद भी सूरज के माता-पिता के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया गया. वहां के पुलिसकर्मियों ने उन्हें भगा दिया. सूरज की मां पूर्णिमा जगन्नाथपुर थाना की पुलिस से मिन्नत करती रही़ उसने सारी बातें भी बतानी चाही, लेकिन कोई पुलिसकर्मी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थे़. गौरतलब है कि पूर्णिमा महतो जगन्नाथपुर बस्ती के पास चॉकलेट-बिस्कुट की दुकान चलाती है. गुरुवार की सुबह वे अपने बेटे को दुकान पर बैठा कर स्नान करने चली गयी थी, तभी सीआइडी की टीम ने उसे बाल मजदूर बताकर उठा लिया था़ शुक्रवार को शाम छह बजे के करीब दंपती को चाइल्ड लाइन से उनका बच्चा वापस मिला. इससे पूर्व उनसे एक बांड भरवाया गया.
ठंड में जमीन पर सुलाया गया : पूर्णिमा महतो ने बताया कि रात में बच्चों को चाइल्ड लाइन में रखा गया. उसके पुत्र सूरज महतो सहित अन्य 20-22 बच्चों को ठंड में ठिठुरने के लिए छोड़ दिया गया़ उन्हें जमीन पर सुलाया गया़ कड़ाके की ठंड में जमीन पर बिछाने के लिए एक पतला-सा कपड़ा और ओढ़ने के लिए एक पतला कंबल दिया गया था़ सूरज महतो ने कहा कि रात में उसे खाने के लिए दो रोटी दी गयी थी़.
मकर संक्रांति पर्व खराब हो गया: सूरज की मां पूर्णिमा महतो और विजय महतो ने कहा कि बिना किसी दोष के हमारा पुत्र रात भर चाइल्ड लाइन में एक अपराधी की तरह रहा़ पुलिस वालों के कारण हमारा मकर संक्रांति पर्व खराब हो गया़ उन्होंने कहा कि सूरज से बड़ी हमारी एक पुत्री है़ मकर संक्रांति के लिए हमने बच्चों के लिए बहुत कुछ बनाया था़ हमारा पर्व खराब हो गया़ पुलिस के बड़े अधिकारी क्या अपने बच्चों से छोटा-मोटा काम नहीं कराते होंगे़. यदि पुलिसवाले बच्चों के प्रति इतना संवेदनशील हैं, तो वे भीख मांग कर या कचरा बीन कर परिवार का पेट पालने के लिए विवश बच्चों की मदद कर देश का भविष्य क्यों नहीं संवारते़
जानवरों की तरह दुत्कार रहे थे पुलिस अफसर
जगन्नाथपुर थाना के अफसरों ने सूरज महतो के माता-पिता विजय व पूर्णिमा महतो को जानवरों की तरह दुत्कार कर थाना से भगा दिया़ पूर्णिमा महतो ने कहा कि ऐसा लगा कि हम किसी बड़े अपराधी को छोड़ने के लिए कहने गये हो़ं वह पुलिस अफसरों के पास रोती रही, लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा़.

18 साल के बच्चों को भी उठा लिया
रोस्पा टॉवर स्थित लोकप्रिय फूड भंडार में काम कर रहे नीरज मंडल व नरेश भुइयां को भी ऑपरेशन मुस्कान के तहत उठाया गया था़ . नीरज मंडल की उम्र लगभग 18 वर्ष है़ उसके जीजा गोविंद शर्मा उसे छुड़ाने के लिए कोकर स्थित चाइल्ड लाइन पहुंचे थे़ उन्होंने बताया कि रांची में उनका छोटा-मोटा व्यवसाय है़ नीरज मंडल भागलपुर के एकचारी थाना क्षेत्र का निवासी है़ उन्होंने बताया कि भागलपुर में वह दिन भर खेलता-कूदता रहता था, इसलिए घर वालों ने उसे रांची भेज दिया. यहां काम कर वह खुश भी था़, लेकिन पुलिस जबरन उसे उठा कर ले आयी है़ इधर नरेश के संबंध में शशिकांत सिंह ने बताया कि नरेश चतरा का निवासी है़ उसके माता-पिता काफी गरीब है़ं .इसलिए उसे यहां लाकर काम पर लगाया गया था़ यदि सरकार व पुलिस इतनी चिंतित है तो गरीबी दूर करे, अपने-आप बाल मजदूरी खत्म हो जायेगी.

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