झारखंड के आदिवासी कल्याण विभाग ने केंद्र सरकार से लाख के दो उत्पादों रागिनी और कुसीमी का न्यूनतम समर्थन मूल्य कम करने की मांग की है. ये दोनों उत्पाद वन उत्पाद में शामिल हैं अौर इनका बड़े पैमाने पर झारखंड में उत्पादन किया जाता है. इस बारे में झारखंड के जनजाति कल्याण विभाग के सचिव राजीव अरुण एक्का ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार ने कुछ वन उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य बाजार दर से तय करने की मांग की है, क्योंकि कुछ उत्पादों का समर्थन मूल्य हमेशा बाजार दर से अधिक रहा है.
कमेटी ने विस्तार से इस मसले पर चर्चा की और माना कि न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार दर में अंतर को कम करने के लिए एमएसपी कम किया जाना जरूरी है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय जनजाति मामले के मंत्री जुएल उरांव इस मांग से सहमत नहीं हैं. गौरतलब है कि केंद्र सरकार 12 वन उत्पादों जैसे तेंदू, बांस, महुआ, चिरौंजी, साल के पत्ते, साल के बीज, हरद, लाख, इमली, करंजी और गाेंद का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करती है.