इधर, हंगामे को देख अस्पताल प्रबंधन की ओर से द्वारा पुलिस को बुला लिया गया था. यह हंगामा करीब तीन घंटे तक चला. इस बीच पुलिसकर्मियों और परिजनों में नोकझोंक भी हुई. परिजनों का कहना था कि इतने देर बाद भी अस्पताल प्रबंधन का कोई अधिकारी मिलने नहीं आया. आइटीआइ की रहनेवाली गीता सत्पथी (65 वर्ष) को परिजनों ने 10 दिन पूर्व अस्पताल में भरती कराया था. परिजनों का कहना था कि इलाज में चार लाख रुपया खर्च हो गया, लेकिन मरीज को चिकित्सक नहीं बचा पाये. यदि सही से इलाज हुआ होता, तो मरीज की जान बच सकती थी.
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घटना: अस्पताल में मरीज की मौत के बाद बिगड़ा मामला, आर्किड में हंगामा, पहुंची पुलिस
रांची: आर्किड मेडिकल सेंटर में गुरुवार को मरीज की मौत के बाद जमकर हंगामा हुआ. परिजनों ने इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की और हंगामा किया. परिजनों का कहना था कि मरीज की स्थिति की उन्हें सही जानकारी नहीं दी गयी, मिलने तक नहीं दिया गया. परिजनों […]
रांची: आर्किड मेडिकल सेंटर में गुरुवार को मरीज की मौत के बाद जमकर हंगामा हुआ. परिजनों ने इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की और हंगामा किया. परिजनों का कहना था कि मरीज की स्थिति की उन्हें सही जानकारी नहीं दी गयी, मिलने तक नहीं दिया गया. परिजनों के अनुसार अस्पताल प्रबंधन की ओर से कहा जा रहा था कि मरीज की स्थिति में सुधार है, जबकि मरीज की मौत दोपहर में ही हो गयी थी. मौत की सूचना उन्हें शाम में दी गयी.
इधर, हंगामे को देख अस्पताल प्रबंधन की ओर से द्वारा पुलिस को बुला लिया गया था. यह हंगामा करीब तीन घंटे तक चला. इस बीच पुलिसकर्मियों और परिजनों में नोकझोंक भी हुई. परिजनों का कहना था कि इतने देर बाद भी अस्पताल प्रबंधन का कोई अधिकारी मिलने नहीं आया. आइटीआइ की रहनेवाली गीता सत्पथी (65 वर्ष) को परिजनों ने 10 दिन पूर्व अस्पताल में भरती कराया था. परिजनों का कहना था कि इलाज में चार लाख रुपया खर्च हो गया, लेकिन मरीज को चिकित्सक नहीं बचा पाये. यदि सही से इलाज हुआ होता, तो मरीज की जान बच सकती थी.
पैसा नहीं दिया तो, अस्पताल ने नहीं जाने दिया
इधर, अस्पताल में हंगामे के दौरान ही अस्पताल में भरती शामलाल महतो की पत्नी वेदंती देवी ने भी अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया. उनका कहना था कि उनके पति का इलाज यहां चल रहा था. इंश्योरेंस भी था, लेकिन कुछ पैसा ज्यादा लग गया. पैसे का जब तक इंतजाम नहीं हुआ, तब तक बेटी व अन्य परिजनों को अस्पताल प्रबंधन ने रोके रखा. अब अस्पताल प्रबंधन कह रहा है कि आपके मरीज की छुट्टी कर दी गयी है, जबकि वह कहां गये, इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है.
मरीज की स्थिति थी गंभीर: प्रबंधन
अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया: जिन मरीजों की मौत हुई है, उनकी स्थिति गंभीर थी. स्थिति के बारे में पूरी जानकारी मरीजों के परिजनों को दे दी गयी थी. मरीज की स्थिति ज्यादा बिगड़ने पर वेंटीलेटर पर रखा गया था. चिकित्सकों ने प्रयास किया, लेकिन मरीज को बचाया नहीं जा सका. मौते के बाद परिजनों ने हमारे चिकित्सक का कॉलर पकड़ा और नर्स के साथ बदसलूकी की.
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