19 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

एनसीइआरटी ने किताब के लिए मांगे 218 करोड़

रांची: वर्ष 2014-15 में बच्चों की किताब छपाई मामले में अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने एनसीइआरटी से किताब छपवाने का निर्णय लिया था. किताब छपाई में पिछले वर्ष हुई गड़बड़ी को देखते हुए परियोजना ने एनसीइआरटी से किताब क्रय करने का निर्णय लिया था. इसके लिए एनसीइआरटी को […]

रांची: वर्ष 2014-15 में बच्चों की किताब छपाई मामले में अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने एनसीइआरटी से किताब छपवाने का निर्णय लिया था. किताब छपाई में पिछले वर्ष हुई गड़बड़ी को देखते हुए परियोजना ने एनसीइआरटी से किताब क्रय करने का निर्णय लिया था. इसके लिए एनसीइआरटी को प्रस्ताव भेजा गया था. एनसीइआरटी ने किताब के लिए 218 करोड़ रुपये मांगे हैं. किताब छपाई के लिए इतनी राशि का प्रावधान नहीं है. राज्य में किताब छपाई पर अब तक सबसे अधिक 99 करोड़ रुपये खर्च हुए है. राज्य में कक्षा एक से आठ तक सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को नि:शुल्क किताब दी जाती है. वर्ष 2014-15 में लगभग 42 लाख बच्चों को किताब देने की योजना है. बच्चों को एक अप्रैल 2014 तक किताब मुहैया करानी है.

250 रुपये प्रति सेट स्वीकृत
राज्य में किताब छपाई के लिए सरकार द्वारा कक्षा एक से पांच के लिए 150 रुपये व कक्षा छह से आठ के लिए 250 रुपये प्रति सेट स्वीकृत किये गये हैं. एनसीइआरटी से किताब क्रय करने पर कक्षा छह की किताब के लिए प्रति सेट 410 रुपये, कक्षा सात के लिए 415 रुपये व कक्षा आठ के लिए प्रति सेट 435 रुपये खर्च पड़ेगा. यह राशि किताब के लिए निर्धारित बजट से अधिक है. ऐसे में एनसीइआरटी से किताब क्रय करना संभव नहीं हो पायेगा.

परियोजना लेगी निर्णय
एनसीइआरटी द्वारा किताब के लिए 218 करोड़ मांगे जाने के बाद अब इस मामले पर फिर से विचार किया जायेगा. प्रस्ताव को झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यकारिणी परिषद की बैठक में रखा जायेगा. परिषद की बैठक में ही किताब छपाई पर अंतिम निर्णय लिया जायेगा. झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यकारिणी परिषद की बैठक जल्द होगी.

क्यों लिया गया था निर्णय
किताब आपूर्ति के टेंडर में लगातार गड़बड़ी की शिकायत आ रही थी. वर्ष 2012-13 व 2013-14 में किताब छपाई में सबसे अधिक गड़बड़ी हुई. इसकी शिकायत केन्द्र सरकार को दी गयी थी.

वर्ष 2012-13 में 30 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी
किताब आपूर्ति के टेंडर में सबसे अधिक गड़बड़ी की शिकायत वर्ष 2012-13 में हुई. इस अवधि में किताब के बजट में 30 करोड़ की बढ़ोतरी हुई. वर्ष 2011-12 व 2012-13 में कुल 45 लाख बच्चों को किताबें दी गयी. वर्ष 2011-12 में 45 लाख बच्चों को किताबें देने के लिए 45.58 करोड़ में टेंडर फाइनल हुआ था. वहीं वर्ष 2012-13 में 45 लाख बच्चों को किताब देने के लिए 75.99 करोड़ रुपये में टेंडर हुआ.

टेंडर रद्द हुआ, तो बढ़ गयी राशि
वर्ष 2012-13 में किताब आपूर्ति के लिए मांगी गयी पहली निविदा में जिन प्रकाशकों ने हिस्सा लिया था, वहीं प्रकाशक तीसरे टेंडर में भी थे. कुछ महीनों में ही उन्हीं प्रकाशकों कीपैकैज दर में बढ़ोतरी हो गयी. पहले टेंडर में प्रकाशक लगभग 60 करोड़ में किताब छापने को तैयार थे, वहीं तीसरे टेंडर में यह बढ़कर 79 करोड़ रुपये हो गया.

टेंडर में खूब हुआ खेल
वर्ष 2012-13 में किताब छपायी के खर्च में रिकार्ड बढ़ोतरी हुई, जबकि विद्यार्थियों की संख्या नहीं बढ़ी. वर्ष 2012-13 में तीन बार टेंडर रद किया गया. छह बार टेंडर फाइनल करने की तिथि बढ़ायी गयी. पहले टेंडर में पेपर मिल क्षमता प्रति वर्ष पांच हजार टन थी, जबकि दूसरे टेंडर में इसे घटा कर तीन हजार टन कर दिया गया. तीसरे टेंडर में प्रकाशक के लिए सरकारी किताब छापने की शर्त अनिवार्य कर दी गयी.

किताब छपाई का बजट

वर्ष बच्चों की संख्या किताब पर खर्च

2005-06 ——- 32.00 करोड़

2006-07 ——- 34.88 करोड़

2007-08 41,16,712 51.79 करोड़

2008-09 51,93088 52.43 करोड़

2009-10 64,26504 72.71 करोड़

2010-11 44,98547 48.91 करोड़

2011-12 45,0000 45.58 करोड़

2012-13 45,0000 75.99 करोड़

2013-14 55,0000 99.00 करोड़

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें