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शहर में चाहिए 600 डस्टबीन, वर्तमान में हैं सिर्फ 200, लोग खुले में कचरा फेंकने को विवश

रांची: राजधानी की सड़कों पर डस्टबीनों की किल्लत है. डस्टबीनों के नहीं रहने से लोग अपने घर के कूड़े को सड़कों पर फेंकने के लिए विवश हैं. इधर, खुले में कचरा फेंके जाने से उस पर पर आवारा पशु मंडराते रहते हैं. थोड़ी सी हवा चलने पर भी यहां कचरा आसपास में बिखर जा रहा […]

रांची: राजधानी की सड़कों पर डस्टबीनों की किल्लत है. डस्टबीनों के नहीं रहने से लोग अपने घर के कूड़े को सड़कों पर फेंकने के लिए विवश हैं. इधर, खुले में कचरा फेंके जाने से उस पर पर आवारा पशु मंडराते रहते हैं. थोड़ी सी हवा चलने पर भी यहां कचरा आसपास में बिखर जा रहा है. नगर निगम के अधिकारियों की मानें, तो आनेवाले दो-तीन माह तक यही स्थिति बनी रहेगी. जब तक शहर की सफाई के लिए चयनित कंपनी एसेल इंफ्रा सफाई व्यवस्था को अपने हाथों में नहीं ले लेती है, तब तक ऐसी ही स्थिति बने पहने की संभावना है.
गलियों में भी नहीं हैं डस्टबीन : नगर निगम के स्वास्थ्य शाखा से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में शहर की सड़कों पर 200 डस्टबीन ही हैं, जबकि शहर की प्रमुख सड़कों और गली-मोहल्ले के हिसाब से इसकी संख्या 600 होनी चाहिए. डस्टबीन की संख्या कम होने के कारण लोग अपने घर से निकलनेवाले कचरे को खुले व नाली में डालने के लिए विवश हैं.
दुकानदारों ने भी नहीं लगाया डस्टबीन : मुख्यमंत्री सहित नगर आयुक्त ने शहर के सारे दुकानदारों से यह आग्रह किया था कि वे अपनी दुकान के बाहर डस्टबीन लगायें, ताकि सड़कों पर घूमनेवाले व दुकान की बची हुई बेकार सामग्री इसमें डाली जा सके. दुकानदारों ने इस आदेश का भी पालन नहीं किया. नगर आयुक्त ने चेंबर ऑफ कॉमर्स से अपर बाजार इलाके में यह व्यवस्था बहाल करने का आग्रह किया था, परंतु इस पर भी अमल नहीं हुआ.
मुख्यमंत्री की अपील का भी नहीं हुआ असर
शहर की सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने चार माह पहले शहर के व्यवसायियों के साथ बैठक की थी. इसमें उन्होंने व्यवसायियों से अपील की थी कि अकेले शहर की सफाई व्यवस्था बहाल करना सिर्फ नगर निगम का काम नहीं है. बल्कि इसमें शहर के लोग भी अपनी भागीदारी निभायें.

उन्होंने व्यवसायियों से शहर में बेहतर सफाई कार्य के लिए नगर निगम को डस्टबीन व अन्य सफाई के साधन देने की अपील की थी. मुख्यमंत्री की अपील के बाद रामकृपाल कंस्ट्रक्शन ने 25 डस्टबीन, होटल ली लैक ने 15, पंजाबी हिंदू बिरादरी ने चार, पतंजलि योग समिति ने नौ डस्टबीन निगम को दिये. इसके अलावा महेश पोद्दार ने 400 छोटे डस्टबीन निगम को उपलब्ध कराये. प्रेमसंस मोटर, पासा सेल्स, टोपलिंक टोयोटा द्वारा निगम को एक-एक टाटा एस दिया गया था.

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