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मरीजों से लेंस के साथ मशीनों की इएमआइ भी वसूलते हैं अस्पताल

सरकार की जांच रिपोर्ट में खुलासा औषधि निरीक्षक ने एेसे अस्पतालों और क्लिनिक पर कार्रवाई का किया गया है आग्रह राजीव पांडेय रांची : रांची में आंख के अस्पताल व क्लिनिक मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद लगाये जानेवाले लेंस के साथ मरीजों से मशीनों की इएमआइ भी वसूलते हैं. इसका खुलासा सरकार की जांच रिपोर्ट […]

सरकार की जांच रिपोर्ट में खुलासा

औषधि निरीक्षक ने एेसे अस्पतालों और क्लिनिक पर कार्रवाई का किया गया है आग्रह

राजीव पांडेय

रांची : रांची में आंख के अस्पताल व क्लिनिक मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद लगाये जानेवाले लेंस के साथ मरीजों से मशीनों की इएमआइ भी वसूलते हैं. इसका खुलासा सरकार की जांच रिपोर्ट में हुआ है़ आैषधि निदेशालय के निर्देश पर मरीजों से लेंस के लिए अधिक पैसे लेने के मामले की जांच कर रहे औषधि निरीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की है. औषधि निरीक्षक ने ऐसे अस्पतालों और क्लिनिक पर कार्रवाई करने का आग्रह किया है़ जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लेंस सप्लाइ करनेवाली एजेंसी ने जानकारी दी है कि अस्पतालों को आंख के ऑपरेशन

के लिए जिस मशीन की सप्लाइ की जाती है, उसकी बकाया राशि इएमआइ के रूप में इंट्राक्यूलर लेंस के मूल्य के साथ जोड़ दी जाती है़ इससे स्पष्ट होता है कि अस्पताल व क्लिनिक मरीजों से लेंस के साथ मशीन व अन्य सुविधाओं के भी पैसे लेते हैं. इसके बाद भी चिकित्सक ओटी, ऑपरेशन व अन्य सुविधाओं के नाम पर अलग से पैसे लेते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस अस्पताल को मशीन सप्लाइ की जाती है, वहां लेंस की कीमत अधिक होती है़

6,500 के लेंस का लेते है 18,500

रिपोर्ट के अनुसार, आंख के अस्पताल व क्लिनिक लेंस के नाम पर करीब दोगुने पैसे वसूलते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि एसएन 6 सीडब्लूएस लेंस की एमआरपी 18,500 है, लेकिन चिकित्सकों को कंपनी 6,500 में उपलब्ध कराती है. अस्पताल व क्लिनिक मरीजों को एमआरपी दिखा कर पैसे वसूलते हैं.

एनपीपीए में नहीं होने का उठाते हैं लाभ

रिपोर्ट में कहा गया है कि नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) में लेंस शामिल नहीं होने के कारण इसका निर्माण करनेवाली कंपनी एमआरपी ज्यादा रखती है़

नहीं लिखा होता बैच नंबर, एक्सपायरी डेट

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रय विपत्रों पर लेंस का बैच नंबर, उत्पाद तिथि और एक्सपायरी डेट लिखा नहीं रहता़ यह भी पाया गया है कि जिस अस्पताल या क्लिनिक ने खुदरा लाइसेंस लिया है, वहां थाेक में लेंस की बिक्री गयी है. लेंस की आपूर्ति पर एमआरपी भी नहीं लिखी गयी है.लेंस सप्लाई करनेवाली एजेंसी ने आपूर्ति से संबंधित आदेश व निबंधन का कोई कागज प्रस्तुत नहीं किया.

‘‘मेरे पास अभी रिपोर्ट नहीं आयी है़ एनपीपीए में लेंस शामिल नहीं है, इसलिए हम एमआरपी पर ही नजर रख सकते हैं. अगर एमआरपी से ज्यादा कोई लेता है, तो कार्रवाई की जा सकती है.

सुरेंद्र कुमार, संयुक्त औषधि निदेशक

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