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राज्य में अवैध खनन का कारोबार
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को दिये गये शपथ-पत्र में वन विभाग ने माना राज्य में अवैध खनन और पत्थर तोड़े जाने का कारोबार फल-फूल रहा है, इसे राज्य के वन विभाग ने मान लिया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दाखिल किये गये अपने शपथ पत्र में वन विभाग की ओर से प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर और चीफ […]
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को दिये गये शपथ-पत्र में वन विभाग ने माना
राज्य में अवैध खनन और पत्थर तोड़े जाने का कारोबार फल-फूल रहा है, इसे राज्य के वन विभाग ने मान लिया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दाखिल किये गये अपने शपथ पत्र में वन विभाग की ओर से प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डेन ने स्वीकार किया है कि राज्य में अवैध रूप से खनन का काम किया जा रहा है. शपथ पत्र में बताया गया है कि क्षेत्र में खनन कार्य निकटवर्ती क्षेत्रों के ग्रामीणों द्वारा अपराधी तत्वों तथा छोटे-मोटे राजनैतिक दलों के समर्थन से किया जा रहा है.
ग्रामीणों के पास आय का कोई साधन नहीं होने के चलते वे इस धंधे में िलप्त हो गये हैं. शपथपत्र में कहा गया है कि इसे बंद करने के लिए अभियान चलाये जाते हैं, पर उसका जबरदस्त विरोध होता है. इस दौरान पुिलस दल पर हमले भी हो चुके हैं. नयी िदल्ली से अंजनी कुमार िसंह की रिपोर्ट.
वन प्रमंडल पदाधिकारी, वन्यप्राणी प्रमंडल, हजारीबाग की ओर से एनजीटी को सौंपे शपथ-पत्र में यह बताया गया है कि अवैध खनन लोकाई एनआरएफ के प्लांट में होता है. जिसमें मुख्यत: लोकाई, इंदरबा, बदडीहा, जलवाद, चितरपुर, झरीठांड, सलयडीह, बंसध्रबा, मलवाई, तीनतारा, बहराटांड और कोडरमा के ग्रामीणों द्वारा अवैध खनन का कार्य किया जाता है.
यहां पाये जाने वाले खनिज का नाम अलकाइन फेलस्फर है, जिसका बाजार राजस्थान में है. यह स्थल कोडरमा वन्य प्राणी आश्रयणी के अंतर्गत कोडरमा-जमुआ पथ से उत्तर की ओर इंदरवा गांव के पास स्थित है.
शपथ पत्र में आगे बताया गया है कि इन इलाकों में माइका की खानें पर्याप्त थीं तथा ग्रामीण के लिए यह रोजी-रोटी का प्रमुख साधन था. कलांतर में माइका की खाने बंद हो गयीं और खानों की खुदाई के दौरान ही चमकने वाले पत्थर अलकाइन मिला. जैसे-जैसे माइका की खानें बंद होती गयीं, वैसे-वैसे अवैध खनन भी तेज होता गया. इसे रोकने के बहुत प्रयास किये गये, लेकिन फिर भी यह रुका नहीं. इस संबंध में पहला अपराध प्रतिवेदन 1991 में दर्ज हुआ है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि अवैध खनन रोकने के लिए गृह आयुक्त द्वारा दिये गये आदेश पर वन विभाग, जिला प्रशासन, खनन विभाग एवं पुलिस पदाधिकारियों का दल सशस्त्र दल के साथ अवैध खनन स्थल पर गया. लेकिन ग्रामीणों ने पुलिस दल पर ही हमला कर जब्ती की कार्रवाई को असफल कर दिया. शपथ पत्र में यह भी कहा गया है कि आसपास के ग्रामीणों के लिए माइका खनन के बंद होने के बाद रोजगार का कोई वैकल्पिक साधन नहीं बचा है.
अत: ग्रामीण करो या मरो की नीति पर चलते हुए खून-खराबा भी कर सकते हैं, जिसका प्रतिकूल प्रभाव संपूर्ण आश्रयणी क्षेत्र पर पड़ेगा. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि विभाग ने खुद को मामले में अक्षम बता दिया है.
रिपोर्ट में है विरोधाभास
एनजीटी को वन विभाग की ओर से जो शपथ-पत्र सौंपा गया है, उसमें हजारीबाग लाइफ सेंचुरी पर किसी भी तरह के पारिस्थितिकी(इकोलॉजी)असंतुलन नहीं होने की बात बतायी गयी है. हजारीबाग लाइफ सेंचुरी के लिए निर्धारित सीमा रेखा के अंदर किसी तरह का अवैध खनन नहीं होने की बात कही गयी है, जबकि याचिकाकर्ता की ओर से हजारीबाग लाइफ सेंचुरी को पर्यावरण की दृष्टि से बचाने का निवेदन किया गया है. हजारीबाग लाइफ सेंचुरी के आसपास अवैध स्टोन क्रशर चलाने की बात कही गयी है़ झारखंड पॉल्यूशन बोर्ड के शपथ-पत्र में हजारीबाग में अवैध रूप से चल रहे स्टोन क्रशर की बात कही गयी थी, वहीं वन विभाग प्रमंडल हजारीबाग की ओर से कोडरमा में अवैध खनन की बात कही गयी है. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हजारीबाग जिले के इचाक, मौजा, मौजा सिजुवा आदि में स्टोन क्रसर चलने की बात बतायी थी.
प्रभात खबर ने चलाया था अभियान
अवैध रूप से चलाये जा रहे स्टोन क्रशर को लेकर प्रभात खबर ने एक अभियान चलाया था. याचिकाकर्ता व अभिवक्ता सत्यप्रकाश ने इस मामले को लेकर एनजीटी में याचिका दायर की है, जिस पर अपना पक्ष रखने को कहा गया है. पिछली सुनवाई के दौरान एनजीटी ने सख्त रुख अपनाते हुए दो सप्ताह के अंदर राज्य सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का समय देते हुए यह अल्टीमेटम दिया था कि निर्धारित समय के अंदर जवाब दाखिल न करने पर जवाब दाखिल करने के अधिकार को समाप्त कर दिया जायेगा.
मेरे ऊपर दबाव बनाया जा रहा है : सत्यप्रकाश
इस मामले को एनजीटी में दायर करनेवाले याचिकाकर्ता सत्यप्रकाश ने प्रभात खबर को बताया कि उनके ऊपर प्रेशर बनाया जा रहा है. इतना ही नहीं घरवालों को भी यह समझाने की कोशिश की जा रही है कि इस तरह के मामले से बहुत सारे लोग बेरोजगार हो जायेंगे और इसका सीधा असर लोगों के जीवन पर पड़ेगा. यह पूछे जाने पर कि किस तरह का दबाव बनाया जा रहा है?
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह मामला पर्यावरण सहित लोगों के जीवन-यापन से जुड़ा है. कुछ लोगों का सिर्फ हित सध रहा है, इसलिए वही लोग इस मामले को समाप्त करने की बात कह रहे हैं.
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