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नहीं हो रहा आशुलिपिकों का तबादला

झारखंड विधानसभा में भी उठा था मामला रांची : झारखंड विधानसभा में सचिवालय आशुलिपिक सेवा संवर्ग के कर्मियों के तबादले के आश्वासन के डेढ़ वर्ष बाद भी अब तक कार्रवाई नहीं हुई है. विधानसभा सदस्य अमित कुमार यादव ने अगस्त 2014 में सचिवालय आशुलिपिक सेवा संवर्ग के कर्मियों के तबादले का सवाल अल्पसूचित प्रश्न संख्या […]

झारखंड विधानसभा में भी उठा था मामला
रांची : झारखंड विधानसभा में सचिवालय आशुलिपिक सेवा संवर्ग के कर्मियों के तबादले के आश्वासन के डेढ़ वर्ष बाद भी अब तक कार्रवाई नहीं हुई है. विधानसभा सदस्य अमित कुमार यादव ने अगस्त 2014 में सचिवालय आशुलिपिक सेवा संवर्ग के कर्मियों के तबादले का सवाल अल्पसूचित प्रश्न संख्या 28 के माध्यम से पूछा था.
उस समय सरकार की तरफ से यह जवाब दिया गया था कि तीन वर्ष पूरा करनेवाले कर्मियों का तबादला करने का आश्वासन दिया गया है. इस आश्वासन के बाद भी अपेक्षित कार्रवाई नहीं हो पायी.
जानकारी के अनुसार अब भी कई विभागों में इस सेवा संवर्ग के कर्मी कार्यरत हैं, जो 2005-2006 से एक ही जगह जमे हैं. सचिवालय में आज भी इस सेवा के कई कर्मी सचिव या प्रधान सचिव के आप्त सचिव बने हुए हैं.
इनमें कार्मिक विभाग के नवीन कुमार, संजय कुमार समेत एक दर्जन से अधिक राज्य कर्मी शामिल हैं. ये 2005 से ही कार्मिक, प्रशासनिक और राजभाषा सुधार विभाग में पदस्थापित हैं. इनके अलावा आदिवासी कल्याण आयुक्त के आप्त सचिव ललन कुमार केतु, पथ निर्माण विभाग के प्रमोद कुमार, निबंधन विभाग के जफर इकबाल अंसारी, वाणिज्य कर विभाग के अरुण कुमार सिंह, मानव संसाधन विभाग के संजय कर्ण और रामदेव शर्मा, गृह विभाग के संजय तिवारी, महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग के संजय दीप, गृह (कारा विभाग) के शंभु शरण प्रसाद, खाद्य आपूर्ति विभाग के शंभु शरण प्रसाद और अन्य शामिल हैं. अधिकतर आप्त सचिव 2005 से अब तक बने हुए हैं. विभागीय प्रमुख के आप्त सचिव होने की वजह से सभी तरह की संचिकाओं पर इनकी पैनी नजर भी रहती है.
ये ही विभाग में फाइलों के पहुंचने पर उन पर स्टांप और तिथि अंकित करते हैं. इन्हें सभी तरह की संचिकाओं के मूवमेंट की भी जानकारी रहती है. सरकार की तरफ से तबादले का जो नियम बनाया गया है, उसके मुताबिक राज्य प्रशासमिक सेवा संवर्ग, लिपीकीय संवर्ग, आशुलिपिक संवर्ग के वर्षों से पदस्थापित कर्मियों का तबादला करने का प्रावधान है.

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