रांची. पुलिस मुख्यालय ने रविवार काे एक बयान में कहा है कि स्पेशल ब्रांच ने केंद्रीय खुफिया एजेंसी के पदाधिकारियों का फोन टेप नहीं किया है. मुख्यालय ने यह बात स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट के हवाले से कहा है. स्पेशल ब्रांच ने डीजीपी के निर्देश पर यह रिपोर्ट तैयार की है. बयान में कहा गया है कि स्पेशल ब्रांच द्वारा सिर्फ राज्य में सक्रिय उग्रवादियों अौर अापराधिक गतिविधियों में संलिप्त लोगों के मोबाइल नंबरों को ही अनुश्रवण (टेप करना) में लिया जाता है.
बयान में पिछले तीन दिन के भीतर मीडिया में आयी उन खबरों को भी गलत बताया गया है, जिसमें राज्य के नेता, व्यवसायी, ठेकेदार व पत्रकार के फोन टेप करने की बात कही गयी है.
रांची. एक जनवरी को में प्रकाशित खबर (केंद्रीय खुफिया एजेंसी के अफसरों के फोन हो रहे टेप !) पर प्रभात खबर अब भी कायम है. खबर सही है और इसके पुख्ता साक्ष्य भी प्रभात खबर के पास हैं. केंद्रीय खुफिया एजेंसी के अफसरों के जिन दो नंबरों (7091xx7922, 8877xx7939) के फाेन कॉल टेप किये गये, वह भी प्रभात खबर के पास है. इस बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय आैर राज्य के संबंधित अफसराें से केंद्रीय एजेंसियाें द्वारा शिकायत भी की गयी है. इस संबंध में राजनीतिक दलों ने सरकार पर जो आरोप लगाये हैं, उसके बारे में उन दलाें के पास क्या आधार हैं, इसकी हमें जानकारी नहीं है.
सरकार, अफसर फायदे के लिए कराते रहे हैं फोन टेप
रांची: राज्य गठन के बाद से अब तक कई बार नेताओं, अफसरों, व्यापारियों, ठेकेदारों व पत्रकारों के फोन टेप किये जाने की चर्चा होती रही है़ कई बार तो सरकार को भी इस बात की जानकारी नहीं होती़ कभी-कभी सरकार के इशारे पर पुलिस महकमा यह काम करता है़ बातें चाहे अर्जुन मुंडा की तख्ता पलट के समय की हो या मधु कोड़ा सरकार बनने के दौरान घटे घटनाक्रमों की. फाेन टेपिंग की चर्चा दोनों घटनाओं के दौरान हुई़ मामला कई स्तरों (विधानसभा, नेताओं की रैलियों-प्रेस कांफ्रेंस व अफसरों के बीच) पर खुल कर सामने आया है. पर, हर बार दबा दिया जाता है़ चूंकि फोन टेपिंग की प्रक्रिया अतिगोपनीय है व मात्र दो-तीन अफसरों के बीच की बात होती है.
इस कारण बिना जांच कराये इसका सबूत मिलना मुश्किल है. सरकार कभी जांच कराने की बात करती भी नहीं है. इस कारण हर बार कभी राजनीतिक, तो कभी निजी फायदे के लिए फोन टेप कराये जाते रहे हैं. पिछले साल एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी का फोन टेप कर लिया गया था. उस टेप की वजह से उन्हें पद से हटा दिया गया था. कई बार वसूली के लिए भी व्यवसायियों व ठेकेदारों के फोन टेप किये जाते रहे हैं.
रोका गया था कमलेश सिंह को
अर्जुन मुंडा सरकार की तख्ता पलट और मधु कोड़ा सरकार के गठन के बीच विधायक कमलेश सिंह जमशेदपुर के रास्ते कोलकाता जा रहे थे. रास्ते में जमशेदपुर पुलिस ने उन्हें रोक लिया था. उस समय विधायक एनोस एक्का, हरिनारायण राय, भानु प्रताप शाही कोलकाता निकलने में सफल रहे थे. उस वक्त भी फोन टेपिंग की बात सामने आयी थी़ सत्ता शीर्ष के लोगों के बीच चर्चा थी कि सरकार बागी विधायकों पर नजर रखने के लिए सभी का फोन टेप करवा रही थी. इससे कमलेश सिंह का लोकेशन पता चल गया.
आइएएस अफसर ने आइपीएस को टोका था
दो माह पहले एक बैठक के दौरान राज्य के एक वरिष्ठ आइएएस अधिकारी ने एक आइजी रैंक के आइपीएस अधिकारी को फोन टेपिंग को लेकर सार्वजनिक रूप से टोका था.
पूर्व स्पीकर ने भी कहा था : एक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने भी सार्वजनिक रूप से कहा था कि यहां बात करना मुश्किल है़ पता नहीं कब कौन फोन टेप कर ले़
उपेंद्रनाथ दास ने विधानसभा में उठाया था
सिमरिया के पूर्व विधायक स्व उपेंद्र नाथ दास ने विधानसभा में फोन टेपिंग का मामला उठाया था. तब इस बात चर्चा भी हुई थी. लेकिन बात आयी-गयी और किसी तरह की जांच नहीं हुई. तब विधानसभा के बाहर भी कुछ विधायकों ने अपना फोन टेप किये जाने की आशंका जतायी थी.