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खुफिया एजेंसियों के अफसरों के फोन हो रहे टेप!

विजय पाठक, सुरजीत सिंह रांची : झारखंड में काम कर रही केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के अफसरों के फोन सुने जा रहे हैं. टेप किये जा रहे हैं. फोन टेप करने का आरोप राज्य की एजेंसियाें पर है. इस आशय की शिकायत केंद्रीय गृह मंत्रालय से की गयी है. खबर है कि राज्य के सभी संबंधित […]

विजय पाठक, सुरजीत सिंह
रांची : झारखंड में काम कर रही केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के अफसरों के फोन सुने जा रहे हैं. टेप किये जा रहे हैं. फोन टेप करने का आरोप राज्य की एजेंसियाें पर है. इस आशय की शिकायत केंद्रीय गृह मंत्रालय से की गयी है. खबर है कि राज्य के सभी संबंधित अफसरों से भी इसकी शिकायत की गयी है. इसके बाद राज्य के सीनियर पुलिस अधिकारी परेशान हैं. एक केंद्रीय एजेंसी से जुड़े अफसरों के जो नंबर टेप किये गये हैं, वह 7091xxx922 और 0887xxxx939 हैं.
झारखंड गठन के बाद से ही सरकार के लोगों, पुलिस-प्रशासन के अफसरों, नेताओं , पत्रकारों, ठेकेदारों व बड़े व्यापारियों के फोन टेप करने को लेकर पहले से ही एजेंसियों पर आरोप लगते रहे हैं. हालांकि एजेंसियां हर बार इससे इनकार करती रही हैं. फाेन टेप करने का यह ताजा उदाहरण है.
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय खुफिया एजेंसी के अधिकारी के फोन टेप किये जाने का मामला तब सामने आया, जब 29 दिसंबर की सुबह अचानक पुलिस मुख्यालय का एक मैसेज मीडियाकर्मियों को भेजा गया.
मैसेज में यह बताया गया कि शाम में भाकपा माओवादी के दो नक्सली (दोनों सब जोनल कमांडर रैंक के) पुलिस मुख्यालय परिसर में डीजीपी के समक्ष सरेंडर करेंगे. दरअसल, एक दूसरी एजेंसी के लोग पिछले कई महीनों से गजेंद्र साव के संपर्क में थे. बड़ी मुश्किल से उसे सरेंडर करने के लिए राजी किया
गया था. चूंकि उक्त एजेंसियाें के फाेन टेप हाे रहे थे, इस वजह से राज्य पुलिस के अधिकारियाें काे यह सूचना मिल गयी. वे सक्रिय हो गये.
27-28 दिसंबर को सीआरपीएफ के लोग गजेंद्र साव के घर पर गये और यह कहते हुए उन्हें अपने साथ ले आये कि आपकाे बुलाया गया है. फिर आनन-फानन में 29 दिसंबर की शाम गजेंद्र व दूसरे नक्सली कुलदीप को सरेंडर करा दिया गया आैर जेल भेज दिया गया. दोनों ने .315 बोर की देसी राइफल के साथ सरेंडर किया. इसे लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.
क्या था मकसद
दरअसल खुफिया एजेंसियां चाहती थी कि उक्त नक्सली के साथ-साथ कई आैर नक्सलियाें काे मुख्य धारा में लाया जाये, ताकि राज्य में शांति कायम हाे सके. पर पुलिस की इस काेशिश से इस मुहिम काे झटका लग सकता है.
‘‘ऐसी काेई बात मेरी जानकारी में नहीं है.
डीके पांडेय, डीजीपी, झारखंड
‘‘ मेरी जानकारी में ऐसी बात नहीं आयी है. अगर ऐसी बात है आैर शिकायत मिली, ताे जांच करायेंगे. एनएन पांडेय, गृह सचिव, झारखंड
फोन टेप करने का क्या है नियम
सुरक्षा एजेंसियों को वैसे लोगों का फोन टेप करने का अधिकार है, जिनकी गतिविधि से देश-राज्य को खतरा है.फोन टेप करने के लिए जिलाें में एसपी, राज्य स्तर पर स्पेशल ब्रांच, सीआइडी के अधिकारी गृह सचिव को अनुरोध पत्र भेजते हैं.
गृह सचिव के हस्ताक्षर के बाद संबंधित मोबाइल कंपनी को पत्र भेजा जाता है, वहां की स्वीकृति के बाद फोन टेप शुरू होता है.
किसी भी नंबर को एक सप्ताह तक टेप िकया जा सकता है. पर इस दौरान गृह सचिव से उसकी मंजूरी आवश्यक होती है.
एक सप्ताह में मिले इनपुट के आधार पर यह तय किया जाता है कि उस नंबर की टेपिंग आगे भी जारी रखनी है या नहीं.
रिव्यू का है प्रावधान
नियमानुसार मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति हर दो माह में बैठक कर इस बात की समीक्षा करती है कि इस अधिकार का गलत इस्तेमाल तो नहीं हो रहा है. फोन टेप करने से संबंधित एजेंसी को फायदा हो रहा है या नहीं. पर झारखंड में अभी तक एक भी बैठक नहीं हुई.

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