सरकार संसद में भूमि अधिग्रहण बिल पास करा कर आदिवासी-मूलवासी, गरीब जनता की भूमि कौड़ी के भाव हड़पने की योजना बना रही है़ झारखंड में जितने भी जंगल हैं, उसमें नक्सली के नाम पर सीआरपीएफ कैंप बना दिया गया है.
सरकार जंगल में जितनी भी खनिज संपदा है, उसे अपने कब्जे में कर मनमाने ढंग से देशी व विदेशी साम्राज्यवादियों के हाथों में देना चाहती है़ जब यहां की जनता, दबे-कुचले लोग अपना हक मांगते हैं, तो उन्हें उग्रवादी-नक्सली बता कर या तो इनकाउंटर कर दिया जाता है या जेल की काल कोठरी में डाल दिया जाता है़ झारखंड के किसान सुखाड़ से परेशान होकर आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहे है़ं मनरेगा, नरेगा में काम करने के बाद भी मजदूरों को अपनी मेहनत के पैसे के लिए बैंक का चक्कर लगाना पड़ता है.