रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि नि:शक्त बच्चों के प्रति समाज संवेदनशील बने. समाज में नि:शक्तों को बराबरी का दरजा दिलाने के लिए उनको स्वावलंबी बनाने की आवश्यकता है. यह बातें मुख्यमंत्री ने मंगलवार को जिला स्कूल परिसर में विश्व नि:शक्तता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के समापन समारोह में कही. कार्यक्रम का आयोजन मानव संसाधन विकास विभाग व समाज कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था.
झारखंड में लगभग 3.50 लाख लोग नि:शक्त हैं. इनमें से 1.20 लाख ही चिह्न्ति किये जा सके हैं. मुख्यमंत्री ने स्वयंसेवी संस्थाओं व समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से नि:शक्त जनों के कल्याण के लिए 15 दिनों के अंदर समाज कल्याण विभाग में सुझाव देने का अनुरोध किया. सुझाव मिलने के 15 दिनों के अंदर सरकार राज्य में नि:शक्तों के लिए कार्ययोजना तैयार करेगी.
इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने किया. शिक्षा सचिव के विद्यासागर ने कहा कि नि:शक्तों के लिए सरकार द्वारा जारी योजनाओं के प्रति लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है. समाज कल्याण निदेशक पूजा सिंघल ने कहा कि कार्यक्रम में 21 जिलों के लगभग दो हजार नि:शक्त बच्चों ने भाग लिया. झारखंड शिक्षा परियोजना निदेशक ममता ने कहा कि सरकार नि:शक्त बच्चों के विकास के प्रति गंभीर है.
यूनिसेफ के झारखंड प्रमुख जॉब जाकारिया ने कहा कि विकलांगों के प्रति समाज में अब भी भेदभाव किया जाता है, इसे दूर करने की आवश्यकता है. कार्यक्रम में समाज कल्याण विभाग के सचिव राजीव अरुण एक्का, यूनिसेफ के विनय पटनायक, क्षेत्रीय उप शिक्षा निदेशक आभा कुसुम तिर्की, झारखंड शिक्षा परियोजना निदेशक ममता, झारखंड शिक्षा परियोजना के प्रशासी पदाधिकारी प्रदीप कुमार चौबे, जिला शिक्षा अधीक्षक जयंत कुमार मिश्र समेत अन्य लोग उपस्थित थे.
* अन्नपूर्णा ने उठाया पढ़ाई का खर्च
संत मिखाइल नेत्रहीन विद्यालय बहुबाजार की कक्षा पांच की छात्र नेहा पांडेय की मैट्रिक तक की पढ़ाई का खर्च समाज कल्याण मंत्री अन्नपूर्णा देवी वहन करेंगी. मंत्री ने इसकी घोषणा कार्यक्रम के दौरान की. नेहा का गीत सुनकर अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि वह काफी प्रतिभाशाली है.
* मंत्री गीताश्री उरांव ने दिया बच्चों को इनाम
नि:शक्त बच्चों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम देख शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव काफी प्रभावित हुई. उन्होंने नेहा पांडेय समेत कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले सभी बच्चों को एक हजार एक रुपये का पुरस्कार दिया और आगे भी इन बच्चों को अपनी ओर से सहयोग का आश्वासन दिया.
* नि:शक्तों को मुख्यधारा से जोड़ना कर्तव्य : गीताश्री
शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि नि:शक्त बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना हमारा कर्तव्य है. समाज की मुख्य धारा से जुड़कर ही वे अपना शत-प्रतिशत दे सकते हैं. इनके प्रति सामाजिक चेतना लाने की आवश्यकता है. नि:शक्त बच्चों के प्रति सकारात्मक सोच रखें. उन्हें अपने साथ आगे बढ़ने का मौका दें.
* दया नहीं प्रोत्साहन की आवश्यकता : अन्नपूर्णा
समाज कल्याण मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि नि:शक्त बच्चों को दया की नहीं बल्कि प्रोत्साहन की आवश्यकता है. नि:शक्त बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है. उनको उत्साहित करने से वे आगे बढ़ सकते हैं. विभाग की ओर से नि:शक्तों को आवश्यकतानुसार मशीन व उपकरण उपलब्ध कराये जाते हैं. उनको कृत्रिम अंग देने की भी योजना है.
* राज्य के 2000 नि:शक्त बच्चों ने दिखायी प्रतिभा
कार्यक्रम में राज्य भर के लगभग दो हजार नि:शक्त बच्चों ने भाग लिया. इनके बीच दर्जन भर प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया. दीपशिखा संस्था के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये. संत मिखाइल नेत्रहीन विद्यालय बहुबाजार और ब्रजकिशोर नेत्रहीन विद्यालय के बच्चों ने गीत प्रस्तुत किये.