19 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राजनीतिक अस्थिरता से बाहर निकला झारखंड

रांची . झारखंड के लिए वर्ष 2015 राजनीतिक स्थिरता की सौगात लेकर आया. पिछले 15 वर्षों में झारखंड ने राजनीतिक अस्थिरता की झंझावत को झेला. शासन-प्रशासन पर असर पड़ा. पिछले वर्षों में झारखंड की राजनीतिक अस्थिरता ने कई उठा पटक देखे. सरकार बनाने और बिगाड़ने का खेल चला. झारखंड मेें सरकार प्लॉट जयपुर से लेकर […]

रांची . झारखंड के लिए वर्ष 2015 राजनीतिक स्थिरता की सौगात लेकर आया. पिछले 15 वर्षों में झारखंड ने राजनीतिक अस्थिरता की झंझावत को झेला. शासन-प्रशासन पर असर पड़ा. पिछले वर्षों में झारखंड की राजनीतिक अस्थिरता ने कई उठा पटक देखे. सरकार बनाने और बिगाड़ने का खेल चला. झारखंड मेें सरकार प्लॉट जयपुर से लेकर दिल्ली तक बनता था. राज्य ने एक निर्दलीय को भी मुख्यमंत्री बनते देखा.

चुनाव के बाद दलों के बीच सरकार बनाने के दावे के लिए राजभवन की दौड़ लगती थी. झारखंड में राज्यपाल की भूमिका लेकर सवाल उठे. यहां 14 दिन के लिए भी मुख्यमंत्री बने. राज्य गठन के बाद तीन विधानसभा चुनाव हुए. वर्ष 2014 की विदाई के साथ नयी राजनीतिक व्यवस्था ने दस्तक दी. इस बार सरकार बनाने को लेकर कोई जिच नहीं थी. वोटरों का मैंडेट साफ था. भाजपा और आजसू गंठबंधन ने अपने दम पर बहुमत का 42 का आंकड़ा छू लिया. वहीं विधानसभा के अंदर दलों का समीकरण भी बदला. राज्य गठन के बाद पहली बार राजद व जदयू के विधायक सदन नहीं पहुंच सके.

निर्दलियों की तादाद भी घटी. सदन में पहली बार किसी विधायक की सदस्यता भी गयी. आजसू पांच विधायकों के साथ जीत कर आयी और कमल किशोर भगत की सजा मिलने के साथ वह चार हो गयी. आजसू की लोहरदगा सीट जीत कर कांग्रेस ने अपना आंकड़ा छह से सात कर लिया. राज्य में कई स्थापित अवधारणाएं टूटी. सरकार में पहली बार कोई उप मुख्यमंत्री और मंत्री बनने के दबाव का खेल नहीं हुआ. मंत्रिमंडल में विभाग के लिए राजनीतिक बारगेनिंग नहीं हुई. राजनीतिक हिचकोले खाता झारखंड यहां तक पहुंचा है. अब बहुमत की सरकार अपने तेवर पर काम कर रही है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें