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चिकित्सक व अफसरों की संलिप्तता पर नहीं हुई थी गहराई से जांच

रांची: गैंगस्टर अनिल शर्मा को रिम्स से भागने में उसके सहयोगियों के अलावा कौन लोग शामिल रहे थे, इस बिंदु पर पुलिस ने वरीय पुलिस अधिकारियों के आदेश के बावजूद गंभीरता से जांच नहीं की थी. इस वजह से आज तक मामले में खुलासा नहीं हो सका. मामले में गहराई से अनुसंधान पूरा किये बिना […]

रांची: गैंगस्टर अनिल शर्मा को रिम्स से भागने में उसके सहयोगियों के अलावा कौन लोग शामिल रहे थे, इस बिंदु पर पुलिस ने वरीय पुलिस अधिकारियों के आदेश के बावजूद गंभीरता से जांच नहीं की थी. इस वजह से आज तक मामले में खुलासा नहीं हो सका. मामले में गहराई से अनुसंधान पूरा किये बिना ही बरियातू पुलिस ने केस का अनुसंधान बंद कर दिया था.

अनिल शर्मा के भागने के बाद यह सवाल उठा था कि कहीं अनिल शर्मा को बिरसा मुंडा जेल से इलाज के लिए रिम्स भेजा जाना एक सुनियोजित साजिश तो नहीं थी. यदि जेल में अनिल शर्मा की स्थिति गंभीर होने पर उसे इलाज के लिए रिम्स लाया गया था, तब एक बीमार कैदी कैसे भाग निकला. क्या अनिल शर्मा को सच में किसी गंभीर रोग की शिकायत पर रिम्स में इलाज के लाया गया था. ठीक से अनुसंधान नहीं होने के कारण ही उसे भगाने में सहयोग करनेवालों को उन्हें क्लीन चिट मिल गया था.


उल्लेखनीय है कि सजायाफ्ता कैदी अनिल शर्मा के पुलिस की सुरक्षा से भागने को लेकर बरियातू थाने में 23 मई 2008 को केस दर्ज हुआ था. केस बरियातू थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी अरुण कुमार की लिखित शिकायत पर दर्ज हुई थी. प्राथमिकी में अनिल शर्मा के अलावा कारू सिंह उर्फ अमर सिंह, कन्हैया सिंह और सुनील शर्मा का नाम शामिल था. केस में 19 अगस्त को तत्कालीन लालपुर सर्किल इंस्पेक्टर हरिश्चंद्र सिंह ने प्रगति रिपोर्ट जारी की थी. उन्होंने रिपोर्ट में लिखा था कि रिम्स के न्यूरो सर्जन डॉ सीबी सहाय, रिम्स उपाधीक्षक अवधेश कुमार, रिम्स के अधीक्षक इंद्र भूषण प्रसाद, परिचारिका एलयामा पंडूंग, डॉ वीके, डॉ एके चौधरी, डॉ वीवी प्रसाद, श्याम सुंदर सिंह (सभी चिकित्सक रिम्स) के अलावा बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के चिकित्सक डॉ एमपी सिंह, तत्कालीन जेलर सुधीर झा, डिप्टी कलेक्टर राजीव रंजन, विशेष शाखा के इंस्पेक्टर सीता राम मेहता सहित अन्य की संलिप्तता की बिंदु पर गहराई से अनुसंधान की आवश्यकता है. इसका उल्लेख केस डायरी में भी किया गया था.

इंस्पेक्टर ने अपनी प्रगति रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया था कि केस में पूरक डायरी संख्या 07 दिनांक 11 फरवरी को दाराेगा तेज नारायण सिंह ने समर्पित की थी. इसके बाद केस का प्रभार दारोगा ठाकुर श्यामदेव को मिला था. लेकिन सर्किल इंस्पेक्टर की रिपोर्ट जारी करने की तिथि तक केस का प्रभार ग्रहण संबंधी प्रतिवेदन दारोगा श्याम देव ने इंस्पेक्टर के ऑफिस में नहीं भेजा गया था. इस कारण सर्किल इंस्पेक्टर को यह जानकारी नहीं मिल पा रही थी कि केस के अनुसंधान में क्या प्रगति हुई. इंस्पेक्टर ने प्रगति रिपोर्ट में कमेंट करते हुए यह तक लिखा था कि केस के निष्पादन में विलंब हो रहा है, इससे यह भी स्पष्ट होता है कि अनुसंधानक दारोगा कितने कर्तव्यहीन व लापरवाह हैं. सर्किल इंस्पेक्टर ने केस के अनुसंधानक को सख्त निर्देश देते हुए कहा था कि लंबित बिंदुओं पर अनुसंधान पूरा कर जल्दकेस डायरी समर्पित करें. इसके साथ ही जिन 12 लोगों की संलिप्तता पर जांच का पहले से निर्देंश है, उसे जल्द से पूरा किया जाये, ताकि केस निष्पादन किया जा सके.
अनिल शर्मा सहित चार के खिलाफ समर्पित किया था आरोप पत्र
बरियातू पुलिस ने केस का अनुसंधान पूरा करने के बाद प्राथमिकी अभियुक्त अनिल शर्मा, कारू सिंह उर्फ अमर सिंह, सुनील शर्मा और कन्हैया सिंह के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित किया था, लेकिन अन्य की संलिप्तता की बिंदु पर पुलिस का पूरक अनुसंधान जारी था. कारू सिंह और सुनील शर्मा के खिलाफ आरोप पत्र संख्या 140/ 09 दिनांक 22 जुलाई वर्ष 2008 को न्यायालय में समर्पित किया गया था. वहीं दूसरी ओर अनिल शर्मा और कन्हैया सिंह के खिलाफ आरोप पत्र संख्या 190/ 08 दिनांक 17 अक्तूबर 2008 को न्यायालय में समर्पित किया गया था.

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