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गेंदा सिंह पर इनाम की तैयारी में पुलिस

रांची : अपराधी गेंदा सिंह को पकड़ने के लिए पुलिस जल्द ही उस पर इनाम की घोषणा कर सकती है. एसएसपी प्रभात कुमार गेंदा सिंह पर इनाम की राशि तय कर इसकी अाधिकारिक घोषणा करेंगे. उल्लेखनीय है कि जेल से जमानत पर बाहर निकलने के बाद गेंदा सिंह के अरगोड़ा इलाके में रहने की सूचना […]

रांची : अपराधी गेंदा सिंह को पकड़ने के लिए पुलिस जल्द ही उस पर इनाम की घोषणा कर सकती है. एसएसपी प्रभात कुमार गेंदा सिंह पर इनाम की राशि तय कर इसकी अाधिकारिक घोषणा करेंगे.

उल्लेखनीय है कि जेल से जमानत पर बाहर निकलने के बाद गेंदा सिंह के अरगोड़ा इलाके में रहने की सूचना मिली थी, लेकिन जब पुलिस ने छापेमारी की, तब गेंदा सिंह फरार मिला.
पुलिस को सूचना मिली है कि गेंदा हटिया इलाके से बाहर चला गया है. उसे पकड़ने के लिए इनाम की घोषणा की जायेगी. उल्लेखनीय है गेंदा सिंह का नाम तुपुदाना में हुए डबल मर्डर केस में सामने आया था. इस केस में गेंदा सिंह के खिलाफ साक्ष्य भी मिले थे, लेकिन पुलिस ने गेंदा सिंह को रिमांड पर नहीं लिया.
गेंदा जमानत पर बाहर निकल गया. बाद में पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की, लेकिन पुलिस को सूचना मिली कि वह झारखंड के बाहर चला गया. पुलिस के अनुसार गेंदा सिंह के सहयोगियों में एतवा, अमर सिंह, तौकीर उर्फ राज, मुकेश झा, साहिल उर्फ तरन्नुम व अन्य हैं.
निर्दाेष लक्ष्मण जेल में, आजाद घूम रहा है आरोपी लक्ष्मण
अक्षय कुमार झा, गोमिया में
तारीख-सात दिसंबर, 2015. समय-संध्या 5.10 बजे. स्थान-बोकारो जिले के गोमिया थाना स्थित स्वांग हवाई अड्डा. यहां कुछ लोग जुटे हैं. एक परिवार के कुछ सदस्य भी हैं. लखन यादव नामक युवक कहता है: ‘‘मेरे पिता आपकी वजह से जेल में हैं..आपके किये की सजा भुगत रहे हैं..आप कुछ भी कीजिए, मेरे पिता को रिहा करवाइये.
जो फैसला लेना है, जल्दी ले लीजिए. हमारी स्थिति काफी खराब है..’’लखन की जिद पर लक्ष्मण यादव कहता है: ‘‘अभी तक जो भी पैसा तुम्हारे पिता के पीछे खर्च हुए हैं, वह मैं दे दूंगा. तुम अपने पिता को किसी तरह जेल से छुड़वा लो. अच्छा वकील रखो. हाइकोर्ट में बेल करवाने के लिए जितना पैसा लगेगा, वो भी मैं दूंगा,
लेकिन मैं पुलिस के पास नहीं जा सकता.’’ किसी फिल्म की स्क्रीप्ट जैसा यह दृश्य एक भयानक सच है. यह सच पुलिस की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा करता है. लखन के पिता लक्ष्मण गोप जेल में हैं. लखन के पिता अपने एक हमनाम की करतूत की सजा भुगत रहे हैं. अपने परिवार के साथ लखन अपने पिता के बेगुनाही की फरियाद लगा कर थक चुका है.
समाज, पुलिस, पंचायत और कानून का दरवाजा खटखटा चुके एक बेबस और बेकसूर पिता के बेटे लखन के सामने गंभीर आर्थिक संकट की दशा में एक ही रास्ता बचा है. वह रास्ता है, उस लक्ष्मण यादव से आर्थिक मदद लेकर जेल में बंद अपने निर्दाेष पिता को छुड़ाने की कोशिश करने का, जिसके गुनाह की सजा उसके पिता भुगत रहे हैं.
जी हां, बिना किसी अपराध के लखन के पिता लक्ष्मण गोप जेल की हवा खा रहे हैं. दूसरी ओर गुनाह करने के बाद भी लक्ष्मण यादव आजाद घूम रहा है.

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