रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल राजेंद्र आयुिर्वज्ञान संस्थान (रिम्स) में आंखों के लेंस के लिए मरीजों को अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है. यहां मरीजों को वास्तविक कीमत से करीब 11 गुना तक ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं. जिस लेंस की वास्तविक कीमत 450 से 750 रुपये है, मरीजों को उसके लिए […]
रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल राजेंद्र आयुिर्वज्ञान संस्थान (रिम्स) में आंखों के लेंस के लिए मरीजों को अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है. यहां मरीजों को वास्तविक कीमत से करीब 11 गुना तक ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं. जिस लेंस की वास्तविक कीमत 450 से 750 रुपये है,
मरीजों को उसके लिए पांच से दस हजार रुपये तक देने पड़ रहे हैं. पैसे देने के बावजूद मरीजों को यह पता नहीं होता है कि उन्हें कौन सा लेंस लगाया गया और इसकी वास्तविक कीमत क्या है़ लेंस के पैकेट पर एमआरपी 9,000 रुपये लिखा रहता है. मरीजों को बताया जाता है कि जिस क्वालिटी का लेंस लगाया गया है, उसके लिए निजी अस्पताल 15 हजार रुपये लेते हैं.
एमआरपी का है सारा खेल : लेंस का सारा खेल एमआरपी पर है़ इसकी वास्तविक कीमत बहुत कम होती है, लेकिन इसके पैकेट पर एमआरपी बहुत ज्यादा लिखा होता है. मरीजों से इसी एमआरपी पर वसूली की जाती है़ चिकित्सक एमआरपी दिखा कर मरीजों को यह बता देते हैं कि कीमत ज्यादा है, लेकिन आपको सस्ती दर पर लेंस उपलब्ध कराया जा रहा है.
स्पेक्ट्रा फोल्ड लेंस 450 रुपये में : स्पेक्ट्रा फोल्ड (स्क्वायर एज) लेंस की वास्तविक कीमत 450 रुपये है़ लेकिन इसका एमआरपी 9,000 रुपये है. मरीजों को यही लेंस पांच हजार रुपये में लगाया जाता है. रिम्स में शनिवार को 14 ऑपरेशन हुए, जिसमें सभी मरीजों से अधिक पैसे लिये गये. रिम्स के नेत्र विभाग में वर्तमान में अप्पा व स्पेक्ट्रा कंपनी के लेंस लगाये जाते हैं. कंपनी से चिकित्सक विभाग से लेंस मंगाते हैं. कई बार कंपनी के एमआर लेंस को सीधे ओटी में पहुंचा देते हैं.