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पितृसत्तात्मक समाज के कारण बाल विवाह बढ़ा : रेशमा सिंह

पितृसत्तात्मक समाज के कारण बाल विवाह बढ़ा : रेशमा सिंहफोटो अमित जी रांची़ पितृसत्तात्मक समाज के कारण बाल विवाह बढ़ रहा है़ लड़कियाें के जीवन में बाल विवाह क्या असर डालती है़, यह जानने की कोशिश नहीं की जाती. ब्रेकथ्रो द्वारा आयोजित कार्यक्रम जेंडर इश्यू में यह बातें रेशमा सिंह ने कही. बाल विवाह रोकने […]

पितृसत्तात्मक समाज के कारण बाल विवाह बढ़ा : रेशमा सिंहफोटो अमित जी रांची़ पितृसत्तात्मक समाज के कारण बाल विवाह बढ़ रहा है़ लड़कियाें के जीवन में बाल विवाह क्या असर डालती है़, यह जानने की कोशिश नहीं की जाती. ब्रेकथ्रो द्वारा आयोजित कार्यक्रम जेंडर इश्यू में यह बातें रेशमा सिंह ने कही. बाल विवाह रोकने के मुद्दे को उजागर करते हुए उन्होंने कहा कि एक सर्वे के अनुसार पाया गया है कि 24 प्रतिशत लोग यह मानते हैं कि कम उम्र में शादी कर देने से दहेज कम देना पड़ेगा, 23 प्रतिशत लोग बाल विवाह को परंपरा से जोड़ते हैं, 22 प्रतिशत लोगों ने माना कि कम उम्र में शादी करने से कोई खतरा नहीं होता, जबकि 13 प्रतिशत बेटियों को बाेझ मानते है़ं उन्होंने कहा कि इस भ्रम को तोड़ने में मीडिया का सहयोग जरूरी है. मीडिया के लोगों को लेखनी के माध्यम से जागरूक करने का प्रयास करना होगा़ कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार चंदन मिश्र ने कहा कि मीडिया में संवेदनशील मुद्दों पर सावधानी बरतते हुए लिखे़ं जो भी साधन मिला है, उसका लाभ उठाते हुए लोगों को जागरूक करने का प्रयास करे़ं वरिष्ठ पत्रकार शंभु नाथ चौधरी ने कहा कि मीडिया को महिलाओं के मुद्दे पर संवदेनशील होना चाहिए़ जब ऐसा कोई मुद्दा आता है, तो काफी सावधानी बरतने की आवश्यकता है़ कार्यक्रम में संस्था की स्टेट मैनेजर ज्योति प्रसाद ने बताया कि छह स्टेट में हुए सर्वे में पाया गया है कि 90 प्रतिशत लड़कियाें का मानना है कि घर से निकलने के बाद सेक्सुअल हरासमेंट का शिकार हुई हैं, जबकि 47 प्रतिशत लड़कों का मानना है कि ऐसा वह मस्ती के लिए करते है़ं मौके पर उमर साहिब हासमी, विनित त्रिपाठी आदि ने भी कई बिंदुओं को उजागर किया़

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