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बाहुबल से लोकतंत्र नहीं चल सकता : कुलपति (तसवीर कौशिक की)

बाहुबल से लोकतंत्र नहीं चल सकता : कुलपति (तसवीर कौशिक की) हर नागरिक को लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आना होगाअशिक्षा, क्षेत्रवाद, जातीयता, निर्धनता आदि लोकतंत्र के लिए घातकपीजी राजनीतिशास्त्र विभाग के तत्वावधान में 21वीं शताब्दी में भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियां विषयक दो दिवसीय सेमिनार का उदघाटनमुख्य संवाददातारांची. रांची विवि के कुलपति डॉ रमेश […]

बाहुबल से लोकतंत्र नहीं चल सकता : कुलपति (तसवीर कौशिक की) हर नागरिक को लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आना होगाअशिक्षा, क्षेत्रवाद, जातीयता, निर्धनता आदि लोकतंत्र के लिए घातकपीजी राजनीतिशास्त्र विभाग के तत्वावधान में 21वीं शताब्दी में भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियां विषयक दो दिवसीय सेमिनार का उदघाटनमुख्य संवाददातारांची. रांची विवि के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा है कि समाज में एकता बनाये रखने के लिए लोकतंत्र में निरंतर चर्चा होनी चाहिए. बाहुबल से लोकतंत्र नहीं चल सकता. हम एक दिन वोट डालकर अपने कर्तव्य से नहीं हट सकते. हर नागरिक को लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आना होगा. कुलपति शुक्रवार को रांची विवि स्नातकोत्तर राजनीतिशास्त्र विभाग के तत्वावधान में 21वीं शताब्दी में भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियां विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उदघाटन कर रहे थे. कुलपति ने कहा कि अशिक्षा, क्षेत्रवाद, जातीयता, निर्धनता आदि लोकतंत्र के लिए घातक हैं. इसके लिए हर नागरिकों का नैतिक आचरण अौर सदाचार के आचरण पर बल देना होगा. भारतीय संविधान हमारा मागदर्शक है. अब तक इसे पूर्ण रूप से मूर्त रूप नहीं किया जा सका है. भारतीय लोकतंत्र में नारी की शक्ति पर बल देना होगा. नारी सशक्तीकरण से घर, समाज, राज्य व देश को बल मिलेगा. लोकतंत्र को बचाना है, तो सहिष्णु बनना होगा. क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले लोगों का राजनीति में प्रवेश रोकना होगा. आज जिस तरह से जातिवाद फैला है, यह विकास में बाधक बनता जा रहा है. विवि के सोशल साइंस डीन डॉ करमा उरांव ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए राजनेताअों पर अब भरोसा नहीं किया जा सकता. बौद्धिक जमात ही इसे सुधार सकता है. भ्रष्टाचार के आरोप में कई राजनेता, अधिकारी, कर्मचारी जेल जा रहे हैं, फिर भी भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा है. लोकतंत्र के लिए यह भी एक चुनौती है. इसके लिए हर नागरिक को यह चुनौती स्वीकार करते हुए लोकतंत्र के प्रति अपना कर्तव्य निभाना होगा. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विवि बनारस से आये डॉ आरएस तोमर ने कहा कि पुराने नेता आदर्श थे, लेकिन आज स्थिति बदल गयी है. दलगत हित के लिए संसद में चर्चा होती है, लेकिन जनहित की बात आती है, तो हंगामा कर संसद ठप करा दिया जाता है. कृषि, उद्योग, पर्यावरण आदि पर चर्चा नहीं होती है. नैतिकता ही लोकतंत्र को मर्यादित करते हैं. उन्होंने कहा कि संसद में अब वो गंभीरता नहीं रही. नेताअों को संवेदनशील होना होगा. विवाद में भी कोई गहनता नहीं रहती. डॉ तोमर ने कहा कि स्पष्ट जनतंत्र तभी कायम होगा, जब राजनेता स्वस्थ आचरण करेंगे. अध्यक्षता कर रहे प्रो जय प्रकाश सिंह ने कहा कि लोकतंत्र की बुराइयां लोकतंत्र में ही निहित है. इसे लोकतांत्रिक तरीके से ही दूर करना होगा. विषय प्रवेश करा रहे डॉ एलके कुंदन ने कहा कि लोकतंत्र में समस्याएं रहेंगी, लेकिन उसे इसी लोकतंत्र में निबटना होगा, तभी लोकतंत्र गतिशील रह पायेगा. न्यायिक सक्रियता के नाम पर न्यायपालिका ने सामंती तेवर अपना लिये हैं. कोलेजियम पद्धति से जजों की नियुक्ति लोकतांत्रिक कैसे हो सकता है. राज्य के पूर्व डीजीपी आरआर प्रसाद ने कहा कि एक समय था, जब बाहुबली ही चुनाव की दिशा तय करते थे. उनके सेवा काल में भी कई बार इस तरह के वाकया से गुजरना पड़ा. हालांकि समय रहते इसमें काफी सुधार आया. इससे पूर्व आगंतुकों का स्वागत विभागाध्यक्ष डॉ टुलू सरकार ने किया. संचालन आर्यन सहाब ने व धन्यवाद ज्ञापन डॉ इला सिंह ने किया. पहले दिन तीन तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया. इस अवसर पर डॉ एसपी सिंह, डॉ जेपी खरे सहित कई शिक्षक, शोधार्थी व विद्यार्थी उपस्थित थे. 12 दिसंबर को सेमिनार का समापन हो जायेगा. इसके मुख्य अतिथि प्रतिकुलपति डॉ एम रजिउद्दीन व विशिष्ट अथिति रजिस्ट्रार डॉ एके चौधरी होंगे.

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