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एचआइवी रोगियों ने बिहार की तरह मांगा भरण-पोषण

रांची़ : राज्य के एचआइवी पोजिटिव लोगों ने सरकार से खुद के भरण-पोषण के लिए आर्थिक सहायता मांगी है. ऐसे लोगों की संस्था झारखंड नेटवर्क फोर पीपुल लिविंग विद एचआइवी एड्स (जेएनपी प्लस) ने सरकार से यह मांग की है. इस तरह की सहायता बिहार सहित कुछ अन्य राज्य सरकारें पहले से कर रही हैं. […]

रांची़ : राज्य के एचआइवी पोजिटिव लोगों ने सरकार से खुद के भरण-पोषण के लिए आर्थिक सहायता मांगी है. ऐसे लोगों की संस्था झारखंड नेटवर्क फोर पीपुल लिविंग विद एचआइवी एड्स (जेएनपी प्लस) ने सरकार से यह मांग की है. इस तरह की सहायता बिहार सहित कुछ अन्य राज्य सरकारें पहले से कर रही हैं.
सरकारी आंकड़े के अनुसार झारखंड में करीब 18 हजार लोगों को एचआइवी पोजिटिव पाया गया है. एचआइवी पोजिटिव लोगों, खास कर बच्चों व महिलाअों के लिए जीवन-यापन मुश्किल होता है. समाज की बेतुकी मान्यताएं भी इन्हें झेलनी पड़ती हैं. सरकार ऐसे लोगों को जीवन जीने में सहायता करती है.
एंटी रैट्रो थेरेपी (एआरटी) केंद्र से लेकर ये एआरवी दवा का नियमित प्रयोग करते हैं. बिहार सरकार बिहार शताब्दी एड्स पीड़ित कल्याण योजना के तहत वयस्क पीड़ित को 1500 रु प्रति माह, छह से 18 वर्ष तक के पीड़ित को एक हजार प्रति माह तथा छह वर्ष तक के पीड़ित बच्चे के लिए 900 रु प्रति माह का भुगतान करती है.
यह भुगतान पीड़ितों को एआरटी केंद्र पर दवा के साथ किया जाता है. झारखंड में भी इसी तर्ज पर उक्त मांग की गयी है. झारखंड में भी सात एआरटी केंद्र रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग, गिरिडीह, धनबाद, देवघर व पलामू में हैं. राज्य भर के एचआइवी पोजिटिव लोगों को यहीं आकर दवा लेना पड़ता है.

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