मीडिया फ्रीडम जेंडर, कल्चर और पॉलिटिक्स विषय पर कार्यशाला फिल्मों में महिलाअों का वस्तुकरण फोटो फोल्डर में पूजा सिंह @ रांची फिल्म और टीवी अभिनेत्री सोनल झा का कहना है कि समाज में कोई भी महिला जब अपने लिए सोचती है, तो वह अच्छी औरत नहीं मानी जाती. समाज में ऐसी महिला को काफी संघर्ष करना पड़ता है, जो अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही होती हैं. स्त्री में ही हमारी संस्कृति को देखा जाता है और यहीं से उन्हें दबाने की प्रथा शुरू हो जाती है़ इसका असर फिल्मों में भी हो रहा है़ जहां महिलाओं का वस्तुकरण हो रहा है़ टैलेंट से ज्यादा आगे बढ़ने के लिए सुंदर और अच्छा दिखना जरूरी हो गया है. इसलिए बिना डरे अपनी पहचान अपने दम पर बनाने की कोशिश करने की जरूरत है. वे अॉक्सफैम इंडिया और साउथ एशिया वीमेन एंड मीडिया संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में पटना में मीडिया फ्रीडम जेंडर, कल्चर और पॉलिटिक्स विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला बोल रही थीं. सम्मेलन में देश भर से वरिष्ठ पत्रकार, बुद्धिजीवी, महिलाएं शामिल हुईं. सोच लें, तो आगे बढ़ सकती हैं वरिष्ठ पत्रकार राणा अयुब ने लड़कियाें का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि महिलाओं का जीवन तकलीफ भरा होता है़ हालांकि सोच ले, तो वह आगे बढ़ सकती है़ आनंद बाजार पत्रिका की चीफ रिपोर्टर स्वाति भट्टाचार्या ने कहा कि कोई भी महिला पत्रकार फुल टाइम पत्रकारिता नहीं कर पाती है़ कई लेखिका बीच में ही लेखन को परिवार के लिए त्याग देती है़ं महिलाओं का यह टैलेंट यदि परिवार का काम आया तो ठीक है, नहीं तो यह सब फैमली के लिए बेकार माना जाता है़ इसलिए महिलाएं अपनी प्रतिभा को सीमित न रखे़ं जनसत्ता के एडिटर मुकेश भारद्वाज ने कहा कि सभी मीडिया प्राइवेट है. अनुबंध पर रख कर काम लिया जाता है. प्रभात खबर के काॅरपोरेट एडिटर राजेंद्र तिवारी ने कहा कि आज मीडिया संकट से गुजर रहा है़ उस पर विश्वसनीयता का संकट है़ इसका उतरदायी पत्रकार स्वयं है़ अखबारों में महिला पत्रकारों की संख्या काफी कम है और जो महिला पत्रकार हैं, उनके विकास के लिए काम करने की आवश्यकता है़ एनडीटीवी के सीनियर जर्नलिस्ट प्रियदर्शन ने कहा कि महिला पत्रकारों पर भरोसा शुरुआती दिनों में रखना होगा, ताकि वह भी अागे बढ़ सके़ ……………………….ये हुए शामिलदो दिवसीय सेमिनार में बीबीसी के वरिष्ठ पत्रकार जहांगीर मासिद, सीनियर जर्नालिस्ट नशरुद्दीन हैदर, पटना वीमेंस कॉलेज के मास कॉम की एचओडी मिनीती, सीनियर जर्नलिस्ट पाणिनी, फिल्म निदेशक मो ज्ञानी, वरिष्ठ लेखिका उषा किरण खान, जेडी वीमेंस कॉलेज मास कॉम की हेड डॉ आभा रानी, सीनियर जर्नलिस्ट दूरदर्शन रत्ना पुरकारथा, बिहार महिला समाज की शारद कुमारी और बीजेपी की अमृता भूषण आदि शामिल हुए. सभी ने महिलाओं से जुड़े मुद्दों को उजागर किया़ इनमें स्वाम के बिहार चैप्टर की अध्यक्ष निवेदिता और ऑक्सफैम के रिजनल मैनेजर पीके प्रवीण का महत्वपूर्ण योगदान रहा़
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फल्मिों में महिलाओं का वस्तुकरण
मीडिया फ्रीडम जेंडर, कल्चर और पॉलिटिक्स विषय पर कार्यशाला फिल्मों में महिलाअों का वस्तुकरण फोटो फोल्डर में पूजा सिंह @ रांची फिल्म और टीवी अभिनेत्री सोनल झा का कहना है कि समाज में कोई भी महिला जब अपने लिए सोचती है, तो वह अच्छी औरत नहीं मानी जाती. समाज में ऐसी महिला को काफी संघर्ष […]
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