पश्चिमी सिंहभूम में विष्णु चौधरी को आवंटित पायराक्साइनाइट के लीज मामले में अनियमितता की बात पायी गयी थी. श्री चौधरी को 11.10 हेक्टेयर में 14 नवंबर 2015 को तत्कालीन बिहार सरकार ने पायराक्साइनाइट का लीज दिया था. वर्ष 2001 से 2020 तक के लिए लीज ग्रांट किया गया था. वर्ष 2003 में उत्खनन में जिला प्रशासन ने अनियमितता पायी थी, जिसमें लीज एरिया से अधिक 44.16 हेक्टेयर में उत्खनन का मामला आया था.
जमशेदपुर की तत्कालीन उपायुक्त निधि खरे ने वर्ष 2004 लीज कैंसिल करने का आदेश दिया था. कई बार उपायुक्तों द्वारा रिपोर्ट भी भेजी गयी, पर विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी. तत्कालीन डीएमओ रत्नेश कुमार ने भी लीज में अनियमितता पर रिपोर्ट दी थी. मामले को लेकर वर्ष 2013 में विधानसभा की कमेटी बनी, जिसने भी गड़बड़ी की बात कही. निगरानी जांच भी की गयी. इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लीज रद्द कर दिया था और केस करने का आदेश दिया था. मामला कोर्ट में गया. कोर्ट ने दोबारा पक्ष सुनने को कहा. विभाग के प्रधान सचिव ने पक्ष सुनने के बाद लीज रद्द कर दिया. इसके बाद मुख्यमंत्री के पास शिकायत पत्र आया कि जमशेदपुर खनन कार्यालय की मिलीभगत से अवैध उत्खनन कराया गया, जिससे 11 करोड़ रुपये राजस्व की क्षति हुई.