28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ह्य मानव अधिकार दिवस ह्ण आज

‘ मानव अधिकार दिवस ’ आजकाम के अधिकार को मौलिक अधिकार प्रदान करने की जरूरत1950 में संयुक्त राष्ट्र आमसभा ने संकल्प पारित कर सभी सदस्य देशों से अनुरोध किया कि प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को मानव अधिकार दिवस मनाया जाये. 2015 का मानव अधिकार दिवस इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मानव अधिकारों के दो […]

‘ मानव अधिकार दिवस ’ आजकाम के अधिकार को मौलिक अधिकार प्रदान करने की जरूरत1950 में संयुक्त राष्ट्र आमसभा ने संकल्प पारित कर सभी सदस्य देशों से अनुरोध किया कि प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को मानव अधिकार दिवस मनाया जाये. 2015 का मानव अधिकार दिवस इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मानव अधिकारों के दो अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदा 1. आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों की अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदा तथा 2.सिविल एवं राजनैतिक अधिकारों की अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदा की 50वीं वर्षगांठ है. यह दोनों प्रसंविदा 16 दिसंबर 1966 को संयुक्त राष्ट्र की आमसभा द्वारा अंगीकृत किये गये थे. प्रसंविदा अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत संधि का वह दस्तावेज है, जिसे संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश हस्ताक्षर एवं अनुसमर्थन करने के बाद इसमें दिये गये प्रावधानों को अपने देश में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत लागू करने को बाध्य हो जाते है . घोषणा बाध्यकारी नहीं होती है. भारत ने भी लोकसभा एवं राज्यसभा से इन दोनों प्रसंविदा को 1979 में ही पारित कर संधि को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ संयुक्त राष्ट्रसंघ में जमा किया है. मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा 1948 में हुई , परंतु पूंजीवादी एवं समाजवादी देशों के बीच मतभेद के कारण 1966 में दो अलग-अलग प्रसंविदा संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा प्रस्तुत की गयी. आज की तिथि में यह दोनों प्रसंविदा इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि भारत समेत लगभग 165 देशों ने इन दोनों प्रसंविदा पर हस्ताक्षर एवं अनुसमर्थन कर यह स्वीकार कर लिया है कि सिविल, राजनैतिक, आर्थिक, समाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार सभी मानव अधिकार हैं, लेकिन अमेरिका ने अभी तक आर्थिक, समाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार को मानव अधिकार के रूप में स्वीकार नहीं किया है. वहीं दूसरी ओर चीन ने सिविल एवं राजनैतिक अधिकार को मानव अधिकार के रूप में स्वीकार नहीं किया है. भारत के संविघान में मानव अधिकार शब्द का उल्लेख नहीं है. लेकिन सिविल एवं राजनैतिक अधिकार मौलिक अधिकार के रूप में तथा आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार राज्यों के लिए दिशा निर्देशक तत्व के रूप में उपलब्ध हैं. चूंकि भारत ने दोनों प्रसंविदा का अनुसमर्थन किया है, इसी कारण शिक्षा का अधिकार एवं भोजन का अधिकार, राज्यों के लिए दिशा निर्देशक तत्व से लेकर मौलिक अधिकार के रूप में लाया गया है. अब बारी काम के अधिकार को मौलिक अधिकार प्रदान करने की है. विमल किशोर सिन्हा, (आइपीएस) भूतपूर्व पुलिस महानिरीक्षक

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें