आगमन का पुण्यकाल – 12 हेडिंग : अपनी असलियत देखने का समयफोटो ट्रैकदार्शनिक सुकरात दिखने में कुरूप थे़ वह एक दिन अकेले बैठे हुए हाथ में आइना लिए अपना चेहरा देख रहे थे़ तभी उनका एक शिष्य कमरे में आया़ सुकरात को आइना देखते हुए देख उसे बड़ा अजीब लगा़ इससे पहले कि वह कुछ बोलता, सुकरात ने शिष्य की ओर देख कर कहा – तुम सोच रहे हो कि मुझ जैसा कुरूप आदमी आइना क्यों देख रहा है? शिष्य ने कुछ नहीं कहा, उसका सिर शर्म से झुक गया़ सुकरात ने फिर कहा– कुरूप हूं, इसलिए रोजाना आइना देखता हू़ं आइना देख कर मुझे अपनी कुरूपता का भान होता है़ इसलिए मैं हर रोज कोशिश करता हूं कि अच्छे काम करुं ताकि मेरे अच्छे कामों से मेरी यह कुरुपता ढंक जाए़ शिष्य को यह बात बहुत शिक्षाप्रद लगी़ परंतु उसने एक शंका प्रकट की, तब गुरु जी, इस तर्क के आधार पर सुंदर लोगों को आइना नहीं देखना चाहिए? ऐसी बात नहीं! सुकरात समझाते हुए बोले़ सुंदर लोगों को भी आइना अवश्य देखना चाहिए़ ताकि उन्हें ध्यान रहे कि वे जितने सुंदर दिखते हैं, उतने ही सुंदर काम भी करे़ं अन्यथा कहीं बुरे काम उनकी सुंदरता को ढंक न ले़ं सुंदरता मन व भावों से दिखती है़ शरीर की सुंदरता क्षणिक है, जबकि मन और विचारों की सुंदरता की सुगंध दूर-दूर तक फैलती है़ आगमन काल अपनी आत्मा की तरफ देखने का एक अच्छा अवसर है़ बुरे लोग अपने जीवन में परिवर्तन करें व अच्छे लोग और अच्छा बनने का प्रयास करे़ं यीशु इस दुनिया में इसलिए आये ताकि सभी लोग एक दिन स्वर्ग राज्य में प्रवेश कर सके़ं आगमन काल एक आइना है, जो हमें अपनी असलियत दिखाता है़- फादर अशोक कुजूरडॉन बॉस्को यूथ एंड एजुकेशनल सर्विसेज के निदेशक
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आगमन का पुण्यकाल झ्र 12
आगमन का पुण्यकाल – 12 हेडिंग : अपनी असलियत देखने का समयफोटो ट्रैकदार्शनिक सुकरात दिखने में कुरूप थे़ वह एक दिन अकेले बैठे हुए हाथ में आइना लिए अपना चेहरा देख रहे थे़ तभी उनका एक शिष्य कमरे में आया़ सुकरात को आइना देखते हुए देख उसे बड़ा अजीब लगा़ इससे पहले कि वह कुछ […]
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