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बनहरीद कोल ब्लॉक को लेकर फंसा पेंच

कोयला मंत्रालय से जेवी कंपनी के नाम बनहरदी कोल ब्लॉक आवंटित करने का आग्रह रांची : पतरातू में एनटीपीसी और झारखंड सरकार की ज्वाइंट वेंचर(जेवी) कंपनी में बनहरदी कोल ब्लॉक को लेकर पेंच फंसा हुआ है. जेवी कंपनी का नाम है पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड(पीवीयूएनएल). दो दिसंबर को पीवीयूएनएल की बोर्ड मीटिंग में इस […]

कोयला मंत्रालय से जेवी कंपनी के नाम बनहरदी कोल ब्लॉक आवंटित करने का आग्रह
रांची : पतरातू में एनटीपीसी और झारखंड सरकार की ज्वाइंट वेंचर(जेवी) कंपनी में बनहरदी कोल ब्लॉक को लेकर पेंच फंसा हुआ है. जेवी कंपनी का नाम है पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड(पीवीयूएनएल).
दो दिसंबर को पीवीयूएनएल की बोर्ड मीटिंग में इस पर खासतौर पर चर्चा हुई. कहा गया कि बिना कोल ब्लॉक के परियोजना का काम कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है. गौरतलब है कि जेवी कंपनी द्वारा यहां 4000 मेगावाट का पावर प्लांट लगाया जाना है.
क्या है मामला
बनहरदी कोल ब्लॉक झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड को 1220 मेगावाट के पावर प्लांट के लिए आवंटित हुआ था. इसी दौरान सरकार ने ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनवा दी. इसके तहत जेवी कंपनी को कोल ब्लॉक भी दिया जाना है. इसे लेकर पेंच हो गया है. कोल ब्लॉक का आवंटन ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड को हुआ है. इस पर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं.
बताया गया बनहरदी को जेवी कंपनी के नाम हस्तांतरित कराने का प्रयास चल रहा है. झारखंड सरकार ने कोयला मंत्रालय से बनहरदी को जेवी कंपनी को हस्तांतरित करने की मांग की है. इसके पूर्व जेवी कंपनी झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड के साथ फ्यूल सप्लाई और लिंक का एग्रीमेंट करेगी, ताकि बनहरदी का आसानी से हस्तांतरण हो जाये.
बिहार से मांगे गये हैं कागजात
पतरातू में भूमि हस्तांतरण भी किया जाना है. बताया गया कि 1965 में भूमि अधिग्रहण हुआ था. सारे कागजात बिहार सरकार के पास हैं. अब जेवी कंपनी को यह हस्तांतरित किया जाना है. झारखंड ऊर्जा विकास निगम द्वारा बिहार सरकार से पीटीपीएस से संबंधित सारे कागजात की मांग की गयी है.
जल्द ही हस्तांतरण हो जायेगा : पुरवार
झारखंड बिजली वितरण सह उत्पादन कंपनी के एमडी राहुल पुरवार ने कहा कि बनहरदी कोल ब्लॉक को लेकर जो भी अड़चन है वह दूर हो जायेगी. केंद्र सरकार से बातचीत हो चुकी है.
जेवी कंपनी को हस्तांतरित होने के बाद असली काम वन एवं पर्यावरण क्लीयरेंस लेने की होगी. पूर्व में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा बनहरदी के लिए टर्म्स अॉफ रिफरेंस (टीओआर) जारी कर दिया गया था. अब फिर से इसके लिए आवेदन देना होगा. भूमि हस्तांतरण की जो भी समस्या है, वह भी दूर कर ली जायेगी.

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