विवि के शिक्षकों/अधिकारियों से संबंधित कार्य इसी प्रावधान के तहत आते हैं. आयोग ने कहा था कि विवि के संशोधित एक्ट द्वारा आयोग को परिभाषित किया गया है, जिसके अनुसार जेपीएससी संविधान के अनुच्छेद 320 के अंतर्गत कार्य करनेवाली संस्था है, जिसे विवि/महाविद्यालयों के शिक्षकों व पदाधिकारियों की अनुशंसा करने की शक्ति प्रदत्त है. इस परिभाषा में संविधान के अनुच्छेद 321 का प्रसंग नहीं है. जहां विवि अधिनियम की धारा 36 व 41 के परिनियम गठन के प्रावधानों का प्रश्न है, वैसे परिनियम जिसमें विवि व महाविद्यालयों के शिक्षकों व पदाधिकारियों की नियुक्ति व प्रोन्नति का प्रावधान है. लोक सेवा आयोग का परामर्श विधि सम्मत होगा. यदि सरकार चाहे तो झारखंड लोक सेवा आयोग के परामर्श से विवि अधिनियम का संशोधन कर सकती है.
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खुशखबरी: झारखंड विवि संशोधित अधिनियम अध्यादेश जारी, विवि में नियुक्ति व प्रोन्नति का रास्ता साफ
रांची: झारखंड के विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में शिक्षकों, प्राचार्यों व अधिकारियों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो गया है. राज्यपाल द्रौपदी मुरमू द्वारा झारखंड विश्वविद्यालय संशोधित अधिनियम से संबंधित अध्यादेश की स्वीकृति मिलने के बाद उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने सोमवार को अधिसूचना जारी कर दी है. विधि विभाग में पिछले दो माह से […]
रांची: झारखंड के विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में शिक्षकों, प्राचार्यों व अधिकारियों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो गया है. राज्यपाल द्रौपदी मुरमू द्वारा झारखंड विश्वविद्यालय संशोधित अधिनियम से संबंधित अध्यादेश की स्वीकृति मिलने के बाद उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने सोमवार को अधिसूचना जारी कर दी है. विधि विभाग में पिछले दो माह से अध्यादेश का प्रस्ताव लंबित रहने के बाद इसे सोमवार को राजभवन भेजा गया था. अब झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को विवि के शिक्षकों, अधिकारियों व प्राचार्यों की नियुक्ति व प्रोन्नति का अधिकार मिल गया है.
आयोग ने संविधान का हवाला देते हुए वर्ष 2012 से शिक्षकों की प्रोन्नति, नियुक्ति पर रोक लगा रखी थी. इससे जहां व्याख्याता के एक हजार से अधिक रिक्त पद वर्षों से नहीं भरे जा रहे थे़ वहीं 50 से अधिक रिक्त प्राचार्यों की नियुक्ति भी नहीं हो पा रही थी. आयोग के निर्णय से सैकड़ों शिक्षकों की प्रोन्नति, रीडर व प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हो पा रही थी. विवि संशोधित अधिनियम के तहत अब आयोग के संविधान की धारा 321 में अधिकार दिये गये़ इसके तहत आयोग राज्य सरकार के अधिकारियों की तहत विवि के शिक्षकों व अधिकारियों की नियुक्ति व प्रोन्नति कर सकेगा.
विवि में होगी शिक्षकों की नियुक्ति
विवि में व्याख्याता की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में होगी. इसके तहत उम्मीदवार को नेट/जेट उत्तीर्ण होना होगा. नेट क्वालिफाइ होने पर उम्मीदवार सीधे साक्षात्कार में शामिल हो सकेंगे. आयोग चाहे तो झारखंड पात्रता परीक्षा (जेट) का अायोजन कर सकता है. इसके अलावा 2009 की गाइडलाइन के तहत पीएचडी उत्तीर्ण उम्मीदवार भी इसमें शामिल हो सकेंगे.
क्या थी अड़चन
जेपीएससी ने स्पष्ट किया था कि संविधान के अनुच्छेद 320 (3) के अंतर्गत जेपीएससी सिर्फ सिविल सर्विस/सिविल पोस्ट के संबंध में परामर्श के लिए अधिकृत है, लेकिन विश्वविद्यालय के शिक्षक/पदाधिकारी सिविल सर्वेंट नहीं हैं. संविधान के अनुच्छेद 321 के अंतर्गत लोक सेवा आयोग को नियमानुसार व राज्य सरकार द्वारा गठित किसी लोकल ऑथोरिटी या निकाय की सेवा संबंधी कार्य सौंपे जा सकते हैं.
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