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1000 करोड़ से ज्यादा की योजनाओं के लिए मात्र आठ करोड़

1000 करोड़ से ज्यादा की योजनाअों के लिए मात्र आठ करोड़हाल पंचायती राज विभाग का- 1205 करोड़ का था बजट, केंद्र व राज्य का पैसा कटा-अब राशि के लिए राज्य व केंद्र की अोर देख रहा है विभागमनोज लाल , रांची पंचायती राज विभाग के पास बजट के नाम पर मात्र आठ करोड़ रुपये बचे […]

1000 करोड़ से ज्यादा की योजनाअों के लिए मात्र आठ करोड़हाल पंचायती राज विभाग का- 1205 करोड़ का था बजट, केंद्र व राज्य का पैसा कटा-अब राशि के लिए राज्य व केंद्र की अोर देख रहा है विभागमनोज लाल , रांची पंचायती राज विभाग के पास बजट के नाम पर मात्र आठ करोड़ रुपये बचे हैं, जबकि योजनाएं 1000 करोड़ रुपये से अधिक की है. ऐसे में विभाग के समक्ष वित्तीय संकट हो गया है कि अाखिर योजनाअों का क्रियान्वयन कैसे किया जाये. ऐसे में विभाग राशि के लिए केंद्र व राज्य सरकार का इंतजार कर रहा है. राशि मिलने के बाद ही योजनाअों पर काम शुरू हो सकेगा. फिलहाल अधिकतर योजनाएं बंद हैं. क्यों हुई यह स्थितिइस वित्तीय वर्ष में पंचायती राज विभाग का बजट 1205 करोड़ रुपये का था. इसमें बीआजीएफ का 469 करोड़, एसीए का 510 करोड़ व राजीव गांधी पंचायत सशक्तीकरण का 110 करोड़ का प्रावधान था. यानी इन तीनों केंद्रीय योजना को मिला कर 1089 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. यह पूरी राशि योजना बंद होने से रुक गयी. इस तरह राशि घट कर 116 करोड़ रुपये हो गयी. इसमें से भी 85 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने नन एसीए व नन बीआरजीएफ के लिए अपनी व्यवस्था की थी. उन केंद्रीय योजनाअों के बंद होने से यह राशि भी कट गयी. इस तरह मात्र 31 करोड़ रुपये बचे. इसमें से भी 22 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने राजीव गांधी ग्रामीण सशक्तीकरण के लिए रखा था. जिसे केंद्रीय योजना के बंद होने के बाद वापस ले लिया गया. फिर विभाग के पास मात्र नौ करोड़ रुपये बचे. नौ करोड़ में से एक करोड़ रुपये वाहनों व कंसलटेंसी आदि के लिए विभाग ने रखा था. अंतत: विभाग के पास मात्र आठ करोड़ बचे. विभाग ने इस आठ करोड़ रुपये में से तीन करोड़ रुपये पंचायत भवन, करीब दो करोड़ रुपये विभिन्न भवनों के मरम्मत आदि व एक करोड़ रुपये डाक बंगला के लिए रखा है. इस तरह छह करोड़ रुपये भी खर्च करने के लिए तय कर लिया गया है. ऐसे में विभाग के पास मात्र दो करोड़ रुपये बचेंगे. दो करोड़ में इस वित्तीय वर्ष में सारा कुछ करना है.

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