सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पेयजल विभाग के कार्यपालक अभियंता विपिन कुमार को वर्ष 2013 में निगरानी ने घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. घूसखोरी के इस मामले में सरकार ने अभियोजन स्वीकृति दे दी है. इस इंजीनियर के खिलाफ अनियमितताओं के आरोप में निगरानी ने वर्ष 2003 में भी प्राथमिकी दर्ज की थी .
फिलहाल वह लोहरदगा में कार्यपालक अभियंता के पद पर पदस्थापित हैं. अधीक्षण अभियंता शैलेश कुमार सिन्हा को भी निगरानी ने घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था. वर्ष 2013 में जमशेदपुर में अधीक्षण अभियंता के रूप में काम करने के दौरान वर्ष 2013 में निगरानी ने उन्हें घूस लेते हुए पकड़ा था. वह अभी अभियंता प्रमुख के प्रावैधिकी सचिव के रूप में पदस्थापित हैं. घूस लेते पकड़े जाने के बाद इन दोनों ही अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही शुरू की गयी थी. हालांकि अब तक संचालन पदाधिकारी ने विभागीय कार्यवाही के नतीजों की जानकारी सरकार को नहीं दी है. नियमानुसार विभागीय कार्यवाही तीन माह में ही पूरी कर सरकार को रिपोर्ट देनी होती है.
विभागीय कार्यवाही लंबित रहने की वजह से सरकार इन अधिकारियों के विरुद्ध आगे की दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर पा रही है. निगरानी द्वारा 2013 में ही घूस लेते पकड़े गये लातेहार के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता अनंत प्रसाद सिंह सेवानिवृत्ति के बाद इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं. गोरखनाथ राम पर धनबाद में पदस्थापन के दौरान वर्ष 1999 में नल कूप योजना में गड़बड़ी करने के आरोप में निगरानी ने प्राथमिकी दर्ज की थी. सरकार ने अभियोजन स्वीकृति दे दी है.
फिलहाल वह कार्यपालक अभियंता, दुमका के पद पर पदस्थापित हैं. चतरा के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता ब्रजनंदन कुमार पर निगरानी ने वर्ष 2010 में प्राथमिकी दर्ज की थी. उन पर जिला योजना में गड़बड़ी करने का आरोप है. अभी वह चाईबासा में तकनीकी सलाहकार के पद पर पदस्थापित हैं. इसी मामले में फंसे समीर कुमार दा और शुकदेव गांधी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. निगरानी ने वर्ष 2013 में अक्षय लाल के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी. उस वक्त वह धनबाद के मैथन प्रमंडल में अवर प्रमंडल पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित थे. विभाग ने इस इंजीनियर द्वारा दिये गये संपत्ति के ब्योरे की जांच निगरानी को सौंप दी है. हालांकि निगरानी ने इस मामले में जांच के दौरान मिले तथ्यों की जानकारी विभाग को नहीं दी है. सरकार ने इस इंजीनियर को चास में पदस्थापित कर दिया है.
कार्यपालक अभियंता संजय कुमार के विरुद्ध भी जुलाई 2015 में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में निगरानी थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी. गोड्डा के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता शंकर पासवान पर महगामा जलापूर्ति योजना में गड़बड़ी का आरोप है. विधानसभा में मामले उठने के बाद मंत्रिमंडल निगरानी को जांच की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी. विभाग को अब तक जांच रिपोर्ट नहीं मिली है. वह अभी दुमका में तकनीकी सलाहकार के पद पर पदस्थापित हैं.