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वतन पे जो फिदा होगा, अमर वो नौजवां होगा…

वतन पे जो फिदा होगा, अमर वो नौजवां होगा… परमवीर अलबर्ट एक्का का शहादत दिवस आजदुर्जय पासवान, गुमला. शहीदों के मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मरनेवालों का यही बाकी निशां होगा… यह कथन लांस नायक परमवीर चक्र विजेता व गुमला जिला अंतर्गत जारी गांव के वीर सपूत शहीद अलबर्ट एक्का पर सटीक […]

वतन पे जो फिदा होगा, अमर वो नौजवां होगा… परमवीर अलबर्ट एक्का का शहादत दिवस आजदुर्जय पासवान, गुमला. शहीदों के मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मरनेवालों का यही बाकी निशां होगा… यह कथन लांस नायक परमवीर चक्र विजेता व गुमला जिला अंतर्गत जारी गांव के वीर सपूत शहीद अलबर्ट एक्का पर सटीक बैठता है. अलबर्ट एक्का पढ़ाई में कमजोर थे, लेकिन उन्होंने बहादुरी का ऐसा परिचय दिया, जिसे आज पूरा देश उन्हें नमन करता है. शहीद अलबर्ट एक्का का 44 वां शहादत दिवस तीन दिसंबर को है. गुमला जिला के जारी गांव में भव्य मेला लगेगा. मुख्यमंत्री रघुवर दास मेला में भाग लेंगे. वहीं शहीद अलबर्ट एक्का के साथ उनके युद्ध में साथी रहे रिटायर मेजर डीएन दास भी भाग लेंगे. मेला की पूरी तैयारी हो गयी है. अलबर्ट एक्का का जन्म 27 दिसंबर 1942 को हुआ था, उनके पिता जुलियस एक्का व माता मरियम एक्का थी. अलबर्ट के पिता जुलियस भी सेना में थे. उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध में अपना योगदान दिया था. जब वे रिटायर हुए तो, उनकी मंशा थी कि अलबर्ट भी सेना में भरती हो. जुलियस ने अपने बेटे को पढ़ाया. अलबर्ट की प्रारंभिक पढ़ाई गांव में ही सीसी पतराटोली व मिडिल स्कूल की पढ़ाई भीखमपुर से हुई. गरीबी के कारण वे आगे की पढ़ाई नहीं कर सके. पढ़ाई-लिखाई छोड़ वे गांव में अपने पिता के साथ खेतीबारी का काम करते थे. इस दौरान अलबर्ट ने दो वर्ष तक नौकरी की तलाश की. मगर उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिली. अपने पिता से सेना की वीरता की कहानियां सुन चुके थे, तो उन्होंने सेना में जाने का मन बनाया. इसके बाद वे भारतीय सेना में शामिल हुए. 20 वर्ष की उम्र में अलबर्ट ने 1962 में चीन के विरुद्ध युद्ध में अपनी बुद्धि व बहादुरी का लोहा मनवाया. उसके बाद 1968 में बलमदीना एक्का से उनका विवाह हुआ. बलमदीना से शादी के बाद 1969 में एक पुत्र हुआ. जिसका नाम विंसेंट एक्का है. विंसेंट जिस समय मात्र दो वर्ष का था, उसी समय अलबर्ट एक्का 1971 के भारत पाक युद्ध में शहीद हो गये. बलमदीना को अपने पति के दिवंगत होने का समाचार अपने ससुर से मिला. बलदमीना के चेहरे पर अपने शहीद पति की वीरता के गर्व का भाव था. बलमदीना ने अपने बेटे विसेंट को इंटर तक पढ़ाया. इंटर पास करने के बाद विसेंट भी अपने पिता की तरह सेना में जाना चाहते थे. परंतु अपने पति को गंवाने के बाद बलमदीना को हर समय भय बना रहता था. इस वजह से विसेंट सेना में नहीं गये. शहीद के चार पोता-पोती हैंशहीद के बेटे विसेंट ने रजनी एक्का के साथ शादी की. विसेंट के चार बच्चे हैं. संध्या एक्का, मनीषा एक्का, अनुज एक्का व डीनजोन एक्का है. सभी स्कूल जाते हैं. वहीं शहीद के चार भाई हैं. इसमें पहले नंबर पर स्वयं अलबर्ट एक्का थे. दूसरे नंबर पर सबियल एक्का, जिनका निधन हो गया है. तीसरे नंबर पर सिलवेस्टर व चौथे नंबर पर फरीदानंद एक्का हैं. सिलवेस्टर व फरदीनंद अभी घर में रहते हैं.शहीद के नाम जारी हुआ डाक टिकट एकीकृत बिहार-झारखंड के एकमात्र परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का के नाम से डाक टिकट जारी हो चुका है. शहीद की स्मृति में भारत सरकार ने सन 2000 को डाक टिकट जारी किया था.सीएम का एक बजे कार्यक्रममुख्यमंत्री रघुवर दास का जारी में दिन के एक बजे कार्यक्रम है. सीएम के आगमन को लेकर जिला प्रशासन अलर्ट है. जारी में हेलीपैड बन गया है. बीडीओ केवल कृष्ण अग्रवाल व थानेदार सत्यम कुमार तैयारी में लगे हुए हैं. लोगों व स्कूली बच्चों में उत्साह है.घर के पास बना समाधि स्थलशहीद अलबर्ट एक्का का समाधि स्थल उन्हीं के घर के बगल में बनाया गया है. बुधवार को देर शाम तक समाधि स्थल बना कर तैयार किया गया. वहीं रांची से शहीद की पवित्र मिट्टी को रथ से जारी गांव लाया जायेगा. डीसी दिनेशचंद्र मिश्र ने कहा : भरनो, सिसई, गुमला, रायडीह, चैनपुर व जारी में रथ का स्वागत किया जायेगा.

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