अन्य राज्यों के भी नोडल अफसर इसमें शामिल हुए थे. राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि हिंडाल्को को अॉक्शन से मिले कठोतिया कोल ब्लॉक में जंगल-झाड़ भूमि का मामला आ गया है, जिसके कारण लीज लंबित है. वहीं एस्सार पावर एमपी लिमिटेड को मिले तोकीसुद का स्टांप ड्यूटी वेरीफिकेशन डीसी के यहां लंबित है. पचुवारा नोर्थ में नन फॉरेस्ट लैंड का मामला है.
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पैनम कोल माइंस पर खान विभाग ने किया 98 करोड़ रुपये का दावा
रांची : पचुवारा सेंट्रल कोल ब्लॉक के लीज का मामला 98 करोड़ को लेकर फंस गया है. पूर्व में इसे पैनम कोल ब्लॉक के नाम से जाना जाता था. खान विभाग ने कहा है कि गलत तरीके से उत्खनन किये जाने के कारण पैनम कोल माइंस पर 98 करोड़ रुपये का दावा बनता है. इसमें […]
रांची : पचुवारा सेंट्रल कोल ब्लॉक के लीज का मामला 98 करोड़ को लेकर फंस गया है. पूर्व में इसे पैनम कोल ब्लॉक के नाम से जाना जाता था. खान विभाग ने कहा है कि गलत तरीके से उत्खनन किये जाने के कारण पैनम कोल माइंस पर 98 करोड़ रुपये का दावा बनता है. इसमें पहली किस्त 13 करोड़ का भुगतान अविलंब कर दे, तो लीज ग्रांट कर दी जायेगी. यह जवाब विभाग ने शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रालय के साथ हुई कोल ब्लॉक की समीक्षा बैठक में भी दिया है.
लीज लंबित के कारणों पर राज्य सरकार ने केंद्र के समक्ष रखा पक्ष
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को झारखंड में अॉक्शन अथवा आवंटन से मिले छह कोल ब्लॉक पर अपना पक्ष रखा है. राज्य सरकार की ओर से खान निदेशक एसपी नेगी ने नयी दिल्ली में आयोजित बैठक में हिस्सा लिया था.
अन्य राज्यों के भी नोडल अफसर इसमें शामिल हुए थे. राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि हिंडाल्को को अॉक्शन से मिले कठोतिया कोल ब्लॉक में जंगल-झाड़ भूमि का मामला आ गया है, जिसके कारण लीज लंबित है. वहीं एस्सार पावर एमपी लिमिटेड को मिले तोकीसुद का स्टांप ड्यूटी वेरीफिकेशन डीसी के यहां लंबित है. पचुवारा नोर्थ में नन फॉरेस्ट लैंड का मामला है.
क्या है मामला
31 मार्च 2015 तक पैनम कोल ब्लॉक चालू हालत में था. पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसका लीज रद्द कर दिया गया था. पूर्व में यह कोल ब्लॉक पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन को आवंटित था, जो एमटा को डेवलपर बनाकर उत्खनन करा रहा था. इसके चलते इसका नाम पैनम कोल ब्लॉक रखा गया था. मार्च में लीज समाप्त करने बाद केंद्र सरकार ने दोबारा इस कोल ब्लॉक का आवंटन पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन को ही किया है. विभाग द्वारा जांच में पाया गया है कि कंपनी द्वारा पूर्व में वैसे क्षेत्र में भी उत्खनन कर लिया गया था, जहां वन एवं पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिली थी. इसके बाद ही कंपनी पर 98 करोड़ रुपये का दावा किया गया है.
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