विधायक फंड के खर्च का हिसाब लेना यहां शुरू से ही मुश्किल काम रहा है. राज्य गठन के बाद से यहां विधायक फंड की अग्रिम निकासी की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी थी. नियमानुसार अग्रिम निकासी के खर्च का हिसाब दूसरे महीने में ही देने की बाध्यता है, पर अपरिहार्य कारणों से उपायुक्त और उप विकास आयुक्त विधायक फंड के खर्च का हिसाब लेने में असमर्थ रहे हैं.
अब सरकार ने भी यह मान लिया है कि वर्ष 2009-10 व उससे पहले के विधायक कोष और मुख्यमंत्री विकास योजना मद से खर्च किये गये 101.52 करोड़ रुपये का हिसाब मिलना संभव नहीं है. इसलिए सरकार ने महालेखाकार को इस राशि के खर्च का हिसाब देने के लिए मापी पुस्तिका को अधार बनाने का फैसला किया है. इसके तहत राज्य के उपायुक्त मापी पुस्तिका के आधार पर वर्ष 2009-10 व उससे पहले का विधायक कोष के 82.44 करोड़ और मुख्यमंत्री विकास योजना 19.08 करोड़ के खर्च को प्रमाणित करेगें और महालेखाकार के साथ इस राशि का समायोजन करेंगे.
विभागीय सूत्रों को अनुसार वर्ष 2009-10 के बाद से अगस्त 2015 तक के विधायक फंड और मुख्यमंत्री विकास योजना का 442.42 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिला है. इसमें विधायक फंड की राशि 295.80 करोड़ और मुख्यमंत्री विकास योजना का 146.62 करोड़ रुपये शामिल है.