अांखों के मामले में लापरवाही ठीक नहींतसवीर ट्रैक पर हैरांची़ रेडियो धूम (104.8) एफएम के हेल्थ काउंसलिंग में सेंटेविटा हॉस्पिटल के रेटिना व विट्रीयस विशेषज्ञ सर्जन डॉ अंशुमान सिन्हा ने रेटिना से संबंधित बीमारियों के इलाज की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि रेटिना के इलाज करने लायक प्रमुख दो बीमारियां होती हैं. आंखों के अंदर रक्त भर जाना (विट्रीयस हेमरिज) और रेटिना का अपनी जगह से हट जाना (रेटिनल डिटैच्मेंट) है. डॉ सिन्हा ने बताया कि मधुमेह, उच्च रक्त चाप के मरीजों और प्री मेच्युर नवजात शिशुओं में यह महत्वपूर्ण है. सभी मधुमेह के मरीजों को वर्ष में एक बार रेटिना और विट्रीयस सहित नेत्र जांच कराने की सलाह दी़ साथ ही उन नवजात शिशुओं की रेटिना की जांच होने पर चर्चा की जिनका जन्म नौ महीने प्रसव के बजाय 28 से 35 हफ्ते पर हुआ हो या जन्म के समय का वजन 1740 ग्राम से कम रहा हो. मरीज को अपने फिजिशियन या शिशु रोग विशेषज्ञ की सलाह माननी चाहिए़ डॉ सिन्हा ने उच्च स्नातक की पढ़ाई शंकर नेत्रालय, चेन्नई से की है़ रेटिना व विट्रीयस की डॉक्टरल प्रशिक्षण के साथ रेटिनोपेथी आॅफ प्री मेच्युरिटी (ROP) में फेलोशिप एलवी प्रसाद नेत्र संस्थान हैदराबाद से ली है़ डॉ अंशुमान से सेंटेविटा हॉस्पिटल, अलबर्ट एक्का चौक में संपर्क किया जा सकता है.
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आंखों के मामले में लापरवाही ठीक नहीं
अांखों के मामले में लापरवाही ठीक नहींतसवीर ट्रैक पर हैरांची़ रेडियो धूम (104.8) एफएम के हेल्थ काउंसलिंग में सेंटेविटा हॉस्पिटल के रेटिना व विट्रीयस विशेषज्ञ सर्जन डॉ अंशुमान सिन्हा ने रेटिना से संबंधित बीमारियों के इलाज की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि रेटिना के इलाज करने लायक प्रमुख दो बीमारियां होती हैं. आंखों के अंदर […]
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