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सही जानकारी, सही निर्णय और सही उपाय करें विकास जी का लोगो लगेगादसवीं कक्षा के माता पिता : 10वीं क्लास विद्यार्थी के जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है़ यहां से हर दिशा के लिए रास्ते खुलते हैं. सभी रास्ते एक जैसे दिखते हैं, पर जाते अलग दिशा में हैं. सही निर्णय से अपनी मंजिल तक […]

सही जानकारी, सही निर्णय और सही उपाय करें विकास जी का लोगो लगेगादसवीं कक्षा के माता पिता : 10वीं क्लास विद्यार्थी के जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है़ यहां से हर दिशा के लिए रास्ते खुलते हैं. सभी रास्ते एक जैसे दिखते हैं, पर जाते अलग दिशा में हैं. सही निर्णय से अपनी मंजिल तक पहुंचा जा सकता है़ नहीं तो फिर वहीं आकर दूसरी दिशा में जाना पड़ता है़ 10वीं कक्षा में प्लानिंग ठीक हो तो सफलता का मार्ग आसानी से प्रशस्त होगा़ अभिभावकों की अत्यंत निर्णायक और अहम भूमिका बच्चे के भविष्य निर्माण में रहती है़ इस समय बच्चा काफी आज्ञाकारी और ग्रहणशील भी होता है़ दिसंबर से लेकर अगले अगस्त तक के लिए यदि सही प्लानिंग कर लेंगे, तो बच्चे का परफॉरमेंस भी अच्छा होगा और मानसिक तनाव भी कम रहेगा़ ………………………… अभिवावकों के लिए 11 सूत्रीय फार्मूला दिसंबर से मार्च इस अवधि की तीन बड़ी आवश्यकता और चुनौतियां हैं. – बोर्ड परीक्षा में अच्छा करना : अभी का पूरा फोकस बोर्ड परीक्षा है. हर बच्चे को पता होता है कि उसे क्या करना है़ अभिभावक नयी जानकारी, तरीके और किताब पढ़ने का दवाब न डालें. बच्चे को अपने तरीके से पढ़ाई और रिवीजन करने के लिए प्रोत्साहित करें. रांची के बच्चों का 10वीं में प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है़ उन्हें सिर्फ स्कूल गाइडलाइन को फॉलो करने दें. – सही स्ट्रीम का चुनाव करना : हालांकि स्कूलों में 11वीं का नामांकन जून में होगा, लेकिन फॉर्म भरने की प्रक्रिया पहले शुरू हो जाती है़ इसलिए पहले तय कर लेना चाहिए की किस स्ट्रीम में उसे जाना है़ एक बात ध्यान दें कि अभी का मुख्य कार्य है यह चुनाव करना कि बच्चा साइंस विथ मैथ पढ़ेगा, साइंस विथ बायोलॉजी पढ़ेगा, कॉमर्स पढ़ेगा या आर्ट्स पढ़ेगा़ विद्यार्थियों को प्रतिष्ठित संस्थाओं के अकादमिक एप्टीट्यूड टेस्ट में शामिल होना चाहिए़ इससे उनके कंपीटीशन में अच्छा करने की क्षमता का भी पता चलता है़ इसके अलावा साइकोमेट्रिक टेस्ट भी काफी उपयोगी होते हैं, जो विद्यार्थी की रुचि और क्षमता के आधार पर स्ट्रीम चयन का सुझाव देते हैं. स्ट्रीम चयन के लिए यह भी आवश्यक है कि अभिवावक जानें हर फील्ड में अवसर कितने हैं और चुनौतियां क्या है? इंजीनियरिंग निसंदेह पहली पसंद है और सीट भी पर्याप्त हैं. बायोलॉजी एवं कॉमर्स में असीम संभावना है, लेकिन उसकी सही जानकारी एवं उसके लिए अगले दो वर्ष तक सही दिशा में प्रयास करना होगा़ ………………उपयुक्त कोचिंग या शिक्षक का चुनाव करना : अधिकतर राष्ट्रीय और रीजनल कोचिंग इंस्टीट्यूट में नवंबर से जनवरी के बीच पहला एंट्रेंस टेस्ट होता है, जिसमें बच्चों को भाग लेकर अपना असेसमेंट जरूर करना चाहिए़ यहां महत्वपूर्ण है कि अभिभावक तय कर लें कि उन्हें कोचिंग इंस्टीट्यूट में डालना है या इंडिविजुअल टीचर से पढ़ना है़ दोनों के अपने फायदे हैं. ……………………………अप्रैल से जून 11वीं में दाखिले के लिए स्कूलों के एंट्रेंस एग्जाम : डीपीएस रांची , जेवीएम श्यामली, डीएवी ग्रुप के प्रमुख स्कूल एवं अन्य स्कूलों में अप्रैल, मई और जून में 11वीं के नामांकन के लिए टेस्ट होता है़ इसके लिए फॉर्म सही समय पर भरना भी अत्यंत आवश्यक है़ टॉपर्स को दो-चार और अच्छे विद्यार्थी को भी तीन-पांच एडमिशन टेस्ट का फॉर्म जरूर भरना चाहिए़ अभिवावकों को ओवर कांफिडेंस से बचना चाहिए, नहीं तो बाद में ज्यादा कठिनाई आती है़ – अप्रैल के प्रारंभ से एंट्रेंस एग्जाम व बोर्ड परीक्षा की तैयारी में जुट जाना : जिस भी क्षेत्र में विद्यार्थी को कैरियर बनाना हो, उसे बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए़ अप्रैल से ही उपयुक्त कोचिंग या शिक्षक से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए़ टॉप करनेवाले और अच्छा करनेवाले सभी बच्चे अप्रैल से तैयारी शुरू कर देते हैं. सही ढंग से तैयारी होगी, तो बोर्ड और एंट्रेंस एग्जाम दोनों अच्छा होगा. सही तरीके से नहीं करने पर दोनों में विद्यार्थी पिछड़ जाता है़ – एनसीइआरटी की पुस्तकों पर ध्यान दें : एनसीइआरटी की पुस्तकें सफलता का नींव रखती हैं. किसी भी कीमत पर इनकी अनदेखी नहीं करना चाहिए़ बेसिक कांसेप्ट अच्छा रहने से बोर्ड और प्रतियोगी परीक्षा दोनों में अच्छा रिजल्ट आता है़ – सही रेफरेंस बुक और स्टडी मेटेरियल का चुनाव : एनसीइआरटी के अलावा भी रेफरेंस बुक की जरूरत पड़ती है, पर जिस शिक्षक से पढ़ रहे हैं उन्ही की दिशा निर्देशन में ही किताब खरीदें. अभिवावक किताब खरीदने में आगे रहते हैं, पर क्या उसका फायदा है यह सोचना आवश्यक है़ ……………………………….. जुलाई से सितंबर- 11वीं के हाफ इयरली परीक्षा में अच्छा करना : आपका बच्चा किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करें, स्कूल परीक्षा का अपना महत्व है. शुरू से अपनी पढ़ाई को इस प्रकार से प्लान करें कि स्कूल और कोचिंग की पढ़ाई में संतुलन हो. विद्यार्थी हाफ इयरली परीक्षा में अच्छा करें. हाफ इयरली परीक्षा में अधिकांश बच्चे पिछड़ जाते हैं जिसपर शुरू से ध्यान देने की जरूरत है़ – 11वीं की अर्धवार्षिक परीक्षा के बाद परफॉरमेंस एनालिसिस और रणनीति बनाना : 11वीं की अर्धवार्षिक परीक्षा के बाद सेल्फ असेस्मेंट जरूरी है कि प्रतियोगिता के दौड़ में बने रहने के लिए कितने और मेहनत करने की जरूरत है़ अगले छह महीने की प्राथमिकता सिर्फ स्कूल होगी या एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के साथ मैनेज कर सकते हैं. अभिभावक को अपने बच्चे से इस पर बात करनी चाहिए , समझनी चाहिए और निर्णय अपनी भावना से न लेकर बच्चे के प्रयास के वास्तविक स्थिति से लेनी चाहिए़ – तनाव रहित तैयारी करना : आपका बच्चा और आप स्वयं तनाव रहित रहे यह सफलता के लिए जरूरी है. उलझन की स्थिति में स्कूल के टीचर या काउंसलर से परामर्श लें. – सोशल मीडिया के उपयोग पर कुशल नियंत्रण: सोशल मीडिया बच्चों के जीवन का अनिवार्य अंग बन गया है. आप उन्हें इसके उपयोग से वंचित कर सकते हैं, ऐसा आसान नहीं है़ वे बहुत ज्यादा इस्तेमाल करें ये भी उचित नहीं है़ बच्चे सीमित मात्र में उपयोग करें यह एक चुनौती है जिसे अभिभावक अपने सूझ बूझ से ही कर सकते हैं. – बच्चों से, उसके मित्रों से और शिक्षकों से नियमित संवाद करें : सबसे महत्वपूर्ण है बच्चे से नियमित संवाद़ बच्चे आपसे बहुत बात करते हैं. इसका मतलब नहीं है कि सब बात करते हैं और उन मुद्दों पर बात करते हैं जिससे उन्हें कठिनाई हो रही हो. हर बच्चा किसी न किसी शिक्षक को बहुत सम्मान देता है. उनसे नियमित संपर्क में रहें और फीडबैक देते और लेते रहें.

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