कैरियर इंफोपीडिया- मंगलवार विकास जी का लोगो भी लगेगा बारहवीं के विद्यार्थियों के अभिभावकों की चुनौतियां एवं अवसरहर अभिवावक इंफाॅर्मेशन काउंसलर बनें चिंता छोड़ चिंतन एवं अध्ययन करें इंट्रो12वीं कक्षा में पढ़नेवाले विद्यार्थियों के समक्ष बोर्ड और एंट्रेंस दोनों ही परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव रहता है़ बच्चों की तनाव भरी स्थिति को देखकर अभिभावकों का चिंतित होना भी स्वाभाविक है़ हर अभिभावक अपने बच्चों को तनावमुक्त रखना चाहता है़ साथ ही उनसे परीक्षा में बेहतर परिणाम लाने की अपेक्षा भी रखता है़ बच्चों के लिए यह संवेदनशील पीरियड होता है़ अभिभावकों को इसके लिए स्वयं को तैयार करना होगा़ आपका बच्चा तनाव में रहते हुए तैयारी न करे इसके लिए आपको भी उनकी तैयारी में भागीदार बनना होगा़ अपने बच्चे की सफलता में योगदान देने के लिए आवश्यक है कि अपनी चिंता को चिंतन में बदलें और जानकारी से लैस होकर उन्हें सहयोग करें.हर महीने की अपनी चुनौती परीक्षार्थियों और अभिभावकों दोनों के लिए अंतिम के कुछ महीने काफी चुनौतीपूर्ण होते है़ं हम आपको इन्हीं महत्वपूर्ण महीनों की चुनौतियों और उसके समाधान के बारे बता रहे हैं. इसे जानना आपके और आपके बच्चे, दोनों के लिए लाभप्रद होगा़ नवंबर- दिसंबर : इस समय की तीन प्रमुख जरूरतें होती हैं. प्री बोर्ड एवं आल इंडिया टेस्ट सीरीज: इन दोनों में अच्छा करना सामान रूप से आवश्यक हैं. दोनों में संतुलन बनाना विद्यार्थियों के लिए एक वास्तविक चुनौती है़ आप जायजा लें कि उनके सिलेबस में कितनी प्रगति हुई है़ उन्हें कितने में पूरा कमांड है, कितना थोड़ा समझ में आया है और कितना बिलकुल नहीं समझ आया है़ साथ ही उन्हें उत्साहित भी करें. टॉपर्स प्री बोर्ड में भी अच्छा करते हैं और आॅल इंडिया टेस्ट सीरीज में भी़ अच्छे विद्यार्थी का भी कभी-कभी दोनों में से एक थोड़ा खराब चला जाता है़ इससे न खुद निराश हों न बच्चे को होने दें. एंट्रेंस एग्जाम सेलेक्शन : हर विद्यार्थी को अपनी तैयारी के अनुसार निर्णय लेना चाहिए़ अधिकांश बच्चे माता-पिता को इसकी सही जानकारी नहीं देते. उन्हें इसका पता तब चलता है, जब अप्रैल के प्रथम सप्ताह में जेइइ मेन की परीक्षा हो जाती है. तब तक लगभग सभी महत्वपूर्ण परीक्षाओं के फॉर्म भरने का दिन खत्म हो चुका होता है़ बच्चे आपसे कपड़े के लिए , पार्टी के लिए जिद करेंगे पर फॉर्म भरने के लिए संकोच करेंगे़ इसलिए उनसे खुल कर बात कीजिये और आवश्यकता के अनुसार तीन से सात प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने के लिए जरूर प्रेरित करें. इंजीनियरिंग में 50 से अधिक, मेडिकल में 30 से अधिक, लॉ में 25 से अधिक, फैशन एवं डिजाइन, बीबीए , होटल मैनेजमेंट, जर्नलिज्म में 20 से अधिक परीक्षाएं होती हैं. ग्रेजुएशन के लिए भी 25 से ज्यादा एंट्रेंस परीक्षाएं हैं. हर बच्चे का उनकी क्षमता अनुसार कहीं न कही जरूर होगा़ डिवोशन एंड कंफ्यूजन : नवंबर-दिसंबर में अक्सर बच्चे घबरा जाते हैं. उन्हें लगता है कि जिस मंजिल के लिए वे प्रयास कर रहे हैं वह उन्हें नहीं मिलेगा़ यहां आपके मदद की जरूरत है़ आप उन्हें प्रेरित करें. उनके शिक्षक से बात करें ,उनके दोस्तों से बात करें और उनमें उमंग का संचार करें.जनवरी-फरवरी टॉपर्स की उलझन : यदि आपका बच्चा टॉप रैंकर्स है़ उसे कभी-कभी लगता है कि नंबर तो ठीक आ रहे हैं पर कहीं ऐसा न हो की कोई दूसरा साथी उससे बेहतर कर जाये़ इस समय तक आल इंडिया टेस्ट सीरीज के कुछ टेस्ट हो चुके होते हैं, प्री बोर्ड के भी रिजल्ट आ चुके होते हैं. इस समय माता-पिता की बहुत बड़ी भूमिका होती है कि वे उनके मनोबल एवं अपने फोकस को बनाये रखें. मीडियाॅकर(मध्यम) छात्रों की उलझन : एेसे बच्चों का सबसे ज्यादा समय जाता है ये विचार करने में कि बोर्ड करें या कंपीटीशन. यहां भी माता-पिता को स्पष्ट निर्णय लेने की आवश्यकता है. उनकी उलझन को दूर करें नहीं तो दोनों परीक्षाओं पर इसका असर पड़ता है़ एक बात समझें किअगर अभी भी द्वन्द्व है तो निस्संदेह विद्यार्थी इंट्रेंस परीक्षा में थोड़ा पिछड़ गया है़ इसका कदापि अर्थ नहीं है कि वह किसी में क्वालीफाई नहीं करेगा़ बोर्ड परीक्षा को हर हाल में प्राथमिकता देनी चाहिए़ बोर्ड परीक्षा की तैयारी से एंट्रेंस परीक्षा भी अच्छी जाती है क्योंकि हर प्रतियोगी परीक्षा के मूल में एनसीइआरटी की पुस्तक रहती है़ एवरेज(औसत)स्टूडेंट्स की उलझन : ऐसे बच्चों को समझ में नहीं आता कि अगर हम बोर्ड परीक्षा में पास कर भी गए तब फिर क्या करेंगे़ किस एंट्रेंस एग्जाम को देना है, इसका स्पष्ट निर्णय नहीं ले पाते. ऐसे छात्र संकोचवश न अपने शिक्षकों से पूछते हैं और न ही अपने माता-पिता से. इन्हें पूरा फोकस बोर्ड की परीक्षा पर देना चाहिए परंतु एंट्रेंस एग्जाम का फॉर्म जरूर भरना चाहिए़ इससे उन्हें आगे के लिए भी पैटर्न की जानकारी होगी एवं अनुभव मिलेगा़.मार्च-अप्रैल-मई यह परीक्षा का समय होता है़ मार्च में बोर्ड परीक्षा एवं अप्रैल में एंट्रेंस एग्जामिनेशन. परीक्षा के समय माता-पिता की जबरदस्त भूमिका रहती है़ बच्चे में तनाव बढ़ाने एवं घटाने में माता-पिता सक्रिय भूमिका निभाते हैं. एक तनाव ग्रस्त अभिवावक बच्चे की सफलता में हानिकारक सिद्ध होंगे़ अतः स्वयं तनावरहित रहें. अगर तनाव पर नियंत्रण नहीं कर पायें तो भी इसका असर बच्चे पर न पड़ने दें. परीक्षा के दिन अपने को खाली रखें और परीक्षा जैसी भी जायें उनके साथ अपने को खड़ा रखें. अगर परीक्षा मनोनुकूल न जाये तो परीक्षा के बाद सवालों पर न खुद ज्यादा चर्चा करें और न हीं विद्यार्थी को करने दें. कई बार जब परीक्षा अच्छी नहीं जाती है तो बच्चे निराश होते हैं. उन्हें समझाते हुए उचित निर्णय लें.मई- जून अप्रैल के अंत तक जेइइ मेन, एवं अन्य प्रमुख परीक्षा का रिजल्ट आ जाता है़ इसके आधार पर बच्चे अपने लक्ष्य को लेकर गंभीरता से विचार करते हैं. अभिवावक की भूमिका बड़ी रहती है कि वे ऐसी मनस्थिति बच्चों की बना कर रखें कि उन्हें न सफलता से घमंड हो और न ही असफलता से निराशा़ मई में कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन प्रक्रिया शुरू हो जाती है जिसके लिए उन्हें आर्थिक रूप से , तार्किक रूप से एवं मानसिक रूप से तैयार रहना होगा़ जिनके बच्चे मेडिकल की तैयारी कर रहे हैं उन्हें इस बात को समझना होगा कि यहां से बच्चे बहुत अच्छा करते हैं, लेकिन सीट की संख्या कम होने के कारण अच्छे बच्चे भी मेडिकल की पढ़ायी नहीं कर पाते. ऐसे में उन्हें इसके विकल्प पर मंथन करना चाहिए़ कई बच्चे एक साल रुक कर तैयारी करेंगे तो निकाल लेंगे और कईओं को स्वमूल्यांकन करना चाहिए़ इंजीनियरिंग, लॉ, फैशन एवं अन्य क्षेत्र की तैयारी करनेवाले विद्यार्थी जो एक साल रुक कर तैयारी करना चाहते हैं उन्हें जून तक निर्णय ले लेना चाहिए़ जून -जुलाई-अगस्तएंट्रेंस एग्जाम के रिजल्ट के बाद ये सबसे कठिन दौर होता है जब एक बच्चा चार से पांच परीक्षाओं में क्वालीफाई करता है़ हर कॉलेज से कॉल आता है, उसकी च्वाइस फिलिंग प्रक्रिया में शामिल होना पड़ता है, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए कॉलेज जाना पड़ता है़ इस समय भी विद्यार्थी बहुत द्वन्द्व से गुजरता है़ विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में मशगूल रहते हैं और सही जानकारी सही समय पर नहीं मिल पाती है़ हर जानकारी का हर बच्चे के लिए अलग महत्व होता है़ इसलिए आवश्यकता है हर अभिवावक अध्ययन करें स्वयं एक इनफाॅर्मेशन काउंसलर बनें और अपने इनफाॅर्मेशन एवं माइंड मैनेजमेंट से अपने बच्चे की सफलता का मार्ग प्रसस्त करें.
BREAKING NEWS
कैरियर इंफोपीडिया- मंगलवार
कैरियर इंफोपीडिया- मंगलवार विकास जी का लोगो भी लगेगा बारहवीं के विद्यार्थियों के अभिभावकों की चुनौतियां एवं अवसरहर अभिवावक इंफाॅर्मेशन काउंसलर बनें चिंता छोड़ चिंतन एवं अध्ययन करें इंट्रो12वीं कक्षा में पढ़नेवाले विद्यार्थियों के समक्ष बोर्ड और एंट्रेंस दोनों ही परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव रहता है़ बच्चों की तनाव भरी स्थिति को […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement