रांची: देश ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बड़े एकीकृत इंजीनियरिंग औद्योगिक कॉम्प्लेक्स एचइसी के कर्मी 15 नवंबर को एचइसी दिवस मनायेंगे. एचइसी को राष्ट्र को समर्पित करते हुए प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 15 नवंबर 1963 को कहा था कि एचइसी देश के औद्योगिक विकास में मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने ही इसे मातृ उद्योग का दर्जा भी दिया था. इन वर्षो में एचइसी ने सफलता के कई आयाम खड़े किये हैं. स्थापना काल से लेकर अब तक एचइसी समय-समय पर अपनी उपयोगिता को साबित करता रहा है. राउरकेला स्टील प्लांट, भिलाई स्टील प्लांट हो या फिर बोकारो स्टील प्लांट सभी के निर्माण में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा.
यही नहीं निगम ने कोयला उद्योग, रक्षा विभाग, रेलवे, स्पेस के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपकरणों का निर्माण कर अरबों रुपये की विदेशी मुद्रा अजिर्त की. 70 के दशक में एचइसी निर्बाध गति से चलता रहा. हालांकि इस दौरान भी एचइसी को घाटे का सामना करना पड़ता था, लेकिन इसकी क्षतिपूर्ति केंद्र सरकार किया करती थी. 70 से 80 का दशक निगम के लिए स्वर्ण काल रहा. इसी दौरान एचइसी दो बार मुनाफे में आया. वर्ष 1991 में आर्थिक उदारीकरण को लागू होने से एचइसी की मुश्किलें बढ़ने लगीं. 1992 में पहली बार एचइसी रुग्ण उद्योगों में शामिल हुआ और बीआइएफआर के अधीन चला गया. कर्मचारियों का वेतन समय पर नहीं मिलता था.
धीरे-धीरे सभी सुविधाएं बंद होती चली गयीं. चार वर्ष बाद 1996 में केंद्र सरकार ने 750 करोड़ का पैकेज दिया. इसके बाद एचइसी बीआइएफआर से बाहर आ गया. यह पैकेज भी एचइसी के लिए लाभदायक साबित नहीं हो सका. वर्ष 1998 में एचइसी एक बार फिर बीआइएफआर के अधीन चला गया. इसे बंद करने की सिफारिश तक कर दी गयी. इसके बाद मामला कोर्ट चला गया. 2004 में सीएमडी एस विश्वास के समय सुधार के संकेत मिले. केंद्र सरकार ने 2100 करोड़ का पुनर्वास पैकेज पास किया. इससे एचइसी को काफी लाभ पहुंचा. वर्ष 2006-07 में जीके पिल्लई के सीएमडी बनने के बाद एचइसी लगातार लाभ अजिर्त कर रहा है.
उस वर्ष एचइसी ने 2.86 करोड़ लाभ अजिर्त किया. इसके बाद वर्ष 07-08 में 4.17 करोड़, वर्ष 08-09 में 18.37 करोड़, वर्ष 09-10 में 44.27 करोड़, वर्ष 10-11 में 38.14 करोड़, वर्ष 11-12 में 8.58 करोड़ व वर्ष 2012-13 में एचइसी ने 20 करोड़ का लाभ अजिर्त किया.