रांची: जिला प्रशासन और रांची नगर निगम द्वारा किया जा रहा हरमू नदी का नापी कार्य मात्र दिखावा साबित हुआ है. जुलाई के अंतिम माह से शुरू इस नापी अभियान का अंत अगस्त के दूसरे सप्ताह में हुआ.
इस दौरान नदी की मापी हरमू पुल से लेकर करम चौक तक की गयी. इस दो किलोमीटर के दायरे में निगम ने 13 अतिक्रमणकारियों को चिह्न्ति कर नोटिस जारी किया. अब नवंबर का दूसरा सप्ताह चल रहा है, पर नापी अभियान शुरू नहीं हुआ है. इधर निगम व प्रशासन के नापी कार्य पर अब शहर की आम जनता भी यह सवाल उठाने लगी है कि नगर निगम के अधिकारी ही नहीं चाहते हैं कि हरमू नदी कभी अतिक्रमण मुक्त हो.
पुल के नीचे है अतिक्रमणकारियों की भरमार : नगर निगम का नापी कार्य केवल हरमू पुल से करम चौक तक किया गया. हरमू पुल के निचले इलाकों (खेत मुहल्ला से निवारणपुर ओवरब्रिज व पुल के ऊपर विद्यानगर) में निगम ने नापी करने की जरूरत ही नहीं समझी. यह वह इलाका है, जहां अतिक्रमणकारियों की भरमार है. खेत मुहल्ला में जहां नदी के बहाव क्षेत्र में बाउंड्री वाल, शौचालय व खटाल खोला गया है. वहीं कडरू एजी कॉलोनी तक पहुंचते-पहुंचते नदी नाली में तब्दील हो जाती है. कई जगहों पर बिल्डरों द्वारा नदी पर ही बाउंड्री वाल खड़ा कर नदी को नाली का रूप दे दिया गया है. विद्यानगर में नदी की जमीन को अतिक्रमण कर किनारे-किनारे कॉलोनी बसा ली गयी है. वहीं कडरू व निवारणपुर में तो नदी के बहाव क्षेत्र में बहुमंजिली इमारतें तक खड़ी कर दी गयी है.
चार बार से अधिक मापी
जिला प्रशासन द्वारा अब तक हरमू नदी की नापी चार बार से अधिक बार की गयी है. कभी कोर्ट के आदेश पर यह नापी होती है तो कभी सरकार के वरीय अधिकारियों के आदेश पर. हर बार नापी का एक ही रिजल्ट निकलता है. वह है, जैसे ही ऊपर से आदेश आये सिर्फ हरमू पुल के आसपास में जाकर नापी करना व दो चार घरों की दीवार को तोड़ना. फिर घोषणा कर देना है कि नदी में कहीं अतिक्रमण नहीं है.