सूचना तकनीक की सहायता से इन केंद्रों के जरिये प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से आम लोगों को जन्म, मृत्यु, अाय व आवासीय प्रमाण पत्र सहित विभिन्न विभागों से जुड़ी करीब 216 सेवाएं दी जानी है. पर अभी सूबे की राजधानी के कुल 303 प्रज्ञा केंद्रों में कुल 216 सेवाअों के बदले लोगों को 16 सेवाएं भी नहीं मिल रही हैं. जबकि रांची इ-डिस्ट्रिक्ट के पायलट प्रोजेक्ट में शामिल है. सेवाएं देने की विभागों की तैयारी न होने तथा कनेक्टिविटी की समस्या से ऐसा हो रहा है.
दरअसल करीब 2900 केंद्रों में पुअर (खराब) या जीरो कनेक्टिविटी की समस्या है. इससे आम लोगों को सूचना तकनीक (आइटी) के जरिये विभिन्न सेवाएं देने का काम प्रभावित हो रहा है. राज्य सरकार ने यह भी तय किया है कि प्रज्ञा केंद्रों को विभिन्न पंचायतों के पंचायत भवन /सचिवालय में ही संचालित करना है.
इधर, बन चुके 4500 केंद्रों में से अभी सिर्फ 832 ही पंचायत भवनों में शिफ्ट हुए हैं. राज्य भर में 2151 पंचायत भवन अब तक न बन पाना भी इसकी वजह है. सेवाएं देने के मामले में ई-गवर्नेंस की यह योजना करीब पांच वर्ष पीछे चल रही है. वर्ष 2006 में ही पहले चरण की सेवाएं मिलनी शुरू हो जानी चाहिए थी. वहीं चौथे व अंतिम चरण को 2010 में लागू कर दिया जाना था. दरअसल पूर्व आइटी सचिव आरएस शर्मा (अब भारत सरकार से संबद्ध) ने झारखंड को आइसीटी के संरचना निर्माण में शुरुआती बढ़त दिलायी थी. इसके लिए झारखंड को कई पुरस्कार भी मिले, लेकिन प्रज्ञा केेंद्र के काम में लगी एक एजेंसी की बदतर सर्विस व बाद में ई-गवर्नेंस में सरकार की कम रुचि ने मामला बिगाड़ दिया. लेकिन अब फिर से इसपर ध्यान दिया जा रहा है.