पुलिस इस बिंदु पर भी जानकारी लेगी कि जेल परिसर में रहने वाले युवकों को पीटी परेड और ड्रिल करने के लिए किट कौन उपलब्ध कराता था. अभी तक के अनुसंधान में पुलिस को केस से संबंधित जो दस्तावेज मिले हैं, उसके अनुसार पुरानी जेल में रहने वाले युवकों को जेल प्रशासन की ओर भोजन की व्यवस्था करायी जाती थी. रुपये के लिए जेल प्रशासन की ओर से सीनियर अधिकारियों को पत्राचार भी किया गया था, लेकिन किसी अधिकारी के आदेश पर जेल प्रशासन की ओर से भोजन की व्यवस्था करायी जाती थी, इससे संबंधित किसी आदेश की जानकारी पुलिस के पास नहीं है. इसलिए पुलिस इस दिशा में जानकारी एकत्र करना चाहती है.
उल्लेखनीय है कि दिग्दर्शन कोचिंग संस्थान के जरिये राज्य के विभिन्न जिलों के 513 युवकों को नक्सली और उग्रवादी बता कर उन्हें सरेंडर करवाने के नाम पर पुरानी जेल में रखा गया था. सभी को खूंटी, सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा सहित अन्य जिलों से 2011 से 2013 के बीच लाया गया था. जिन्हें पुरानी जेल में रखा गया, उनमें से कई लोगों को यह आश्वासन दिया गया था कि उन्हें सरेंडर करवाने के बाद नौकरी दी जायेगी. इसके एवज में बेरोजगार युवकों से मोटी रकम की वसूली भी गयी थी. बाद में पुरानी जेल में रहनेवाले युवकों को पता चला कि उन्हें नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की गयी है. तब मामले को लेकर लोअर बाजार थाना में कांड संख्या 77/ 14 के अंतर्गत केस दर्ज हुआ.