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गोतिया-सहिया की राजनीति पर भारी पैसे की खनक

रांची : राज्य में पंचायत चुनाव को लेकर राजनीतिक रोमांच चरम पर है़ गांव सरकार का चयन होना है़ गली-कूचे, चौक-चौराहे में राजनीतिक सरगरमी है़ वार्ड सदस्य, मुखिया, सरपंच और जिला परिषद के प्रत्याशियों का प्रचार वाहन गांव-देहात में धूल उड़ा रहे है़ं . गांव-ज्वार में कास्ट पॉलीटिक्स समीकरण हावी है़ . जात, जमात से […]

रांची : राज्य में पंचायत चुनाव को लेकर राजनीतिक रोमांच चरम पर है़ गांव सरकार का चयन होना है़ गली-कूचे, चौक-चौराहे में राजनीतिक सरगरमी है़ वार्ड सदस्य, मुखिया, सरपंच और जिला परिषद के प्रत्याशियों का प्रचार वाहन गांव-देहात में धूल उड़ा रहे है़ं .

गांव-ज्वार में कास्ट पॉलीटिक्स समीकरण हावी है़ . जात, जमात से लेकर गोतिया-सहिया के कसम-ए-वादे चल रहे हैं, लेकिन गांव सरकार के पॉलीटिक्स में पैसे की खनक सब पर हावी है़ मुखिया और जिला परिषद के रण बांकुरे को सबसे ज्यादा अपना खजाना खाली करना पड़ रहा है़ मुखिया के बाजीगरों ने रोमांच बढ़ाया है़ मुखिया बनने की ऐसी होड़ है कि प्रत्याशी अपनी जमा पूंजी से लेकर खेत-खलिहान तक दावं पर लगा रहे है़ं .

चुनावी खर्ज का जुगाड़ कर्ज लेकर भी पूरा कर रहे है़ं सूचना के मुताबिक, मुखिया प्रत्याशी (सभी नहीं) तीन से लेकर 10 लाख तक खर्च कर रहे है़ं गांव में एक-एक घर को टारगेट किया गया है़ शाम होते ही प्रत्याशी के प्रतिनिधि घर-घर संपर्क बना रहे है़ं मतदाताआें के साथ गिले-शिकवे दूर किये जा रहे है़ं सामूहिक भोज दिये जा रहे है़ं उधर जिला परिषद का चुनाव भी महंगा हुआ है़. जिला परिषद का क्षेत्र बड़ा हाेने की वजह से प्रत्याशियों काे टेंशन भारी है़ जिला परिषद के चुनाव में बड़े-बड़े खिलाड़ी उतरे है़ं . राजनीतिक दल भी परदे के पीछे मजबूत दावेदारों पर अपनी बाजी लगा चुके है़ं यहां पैसे का खेल चल रहा है़ जिला परिषद के प्रत्याशियों (सभी नहीं) का खर्च 20 से 25 लाख तक पहुंच रहा है़ हर दिन प्रचार में 10 से 20 हजार खर्च किये जा रहे है़ं जमीनी लोकतंत्र का आयोजन उत्सवी रंग में तब्दील है़ लोकतंत्र के इस रंग पर रुपये की चमक भारी पड़ रही है़ .

गांव-गांव में युवा व्यस्त, महीनों से मिला है काम
पंचायत चुनाव को लेकर सबसे ज्यादा रोमांच और व्यस्तता युवाओं के बीच में है़ गांव-गांव में युवा व्यस्त है़ं मुखिया और जिला परिषद के प्रत्याशियों के प्रचार से लेकर वोट के जुगाड़ में घूम रहे है़ं जिनके पास मोटरसाइकिल है, उनकी ज्यादा पूछ है़ फिलहाल पेट्रोल की चिंता भी नहीं है़ प्रत्याशियों के प्रचार के लिए एक से दो लीटर तेल का हर दिन जुगाड़ है़ सुबह-सुबह सामूहिक भोजन तैयार हो रहे है़ं भोजन के बाद प्रचार का कारवां निकल जाता है़ धन और संसाधन से संपन्न प्रत्याशी युवाओं को हर दिन मेहनताना भी दे रहे हैं, तो कहीं केवल दिन भर के खाने पर ही मामला फिट है़.
चुनावी जुमले, गाना और भाषण देने वालों की चांदी
प्रचार में रिकॉर्डेड चुनावी जुमले, गाने और भाषण की सीडी बज रही है़ स्थानीय भाषा के गायकों की चांदी है़ दो हजार से पांच हजार में चुनाव प्रचार के लिए सीडी तैयार हो रही है़ एक ही गायक अलग-अलग प्रत्याशी के लिए गाने गा रहे हैं, वोट की अपील कर रहे है़ं प्रत्याशियों की ओर से बने-बनाये भाषण भी तैयार किये गये है़ं भाषण की सीडी बजायी जा रही है़
घर पर झंडा-बैनर लगाने का भी ले रहे हैं चार्ज : प्रत्याशी अभी अपने समर्थकों की हर डिमांड को पूरा कर रहे है़ं प्रत्याशियों को दूसरे के घर में झंडा-बैनर लगाने के लिए भी चार्ज देने पड़ रहे है़ं अपने गांव-घर और जात-जमात में लोग राजी-खुशी झंडा बैनर लगा रहे हैं, लेकिन दूसरे गांव में समर्थक बनाने के लिए पॉकेट ढीला करना पड़ रहा है़ महीना भर झंडा बैनर लगाने का चार्ज 300 से 500 तक है़

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