रांची: 12 घंटे से अधिक का निजर्ला उपवास कर गुरुवार को छठ व्रतियों ने खरना का अनुष्ठान किया. सूर्यास्त होने के बाद भगवान भाष्कर की आराधना की और खीर,रोटी,केला सहित अन्य पकवान भगवान को अर्पित किये. इसके बाद व्रत धारियों ने इसे ग्रहण किया और प्रसाद स्वरूप इसका वितरण किया. इसी के साथ दूसरे दिन का अनुष्ठान खरना संपन्न हुआ. इससे पूर्व सुबह से ही इसकी तैयारी शुरू कर दी गयी थी.
बड़ी संख्या में छठव्रती व श्रद्धालु स्नान ध्यान के लिए नदी व तालाब गयीं और भगवान भाष्कर की पूजा कर वहां से जल लेकर घर आयीं. इसके बाद घरों में प्रसाद बनाने की तैयारी शुरू कर दी गयी. शाम से पूर्व ही प्रसाद तैयार कर लिया था. इस कार्य में आसपास के लोगों ने भी सहयोग किया. गौरतलब है खरना के प्रसाद का काफी महत्व है. ऐसी मान्यता है कि प्रसाद ग्रहण मात्र से ही सभी इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है.
टीका व आशीर्वाद के प्रति आज भी आस्था है
व्रतधारियों से टीका लगाने व आशीर्वाद लेने की परंपरा काफी पुरानी है. बड़ी संख्या में सुहागिन महिलाओं ने नाक तक सिंदूर का टीका लगवाया. उनकी आस्था है कि ऐसा करने से उनके सुहाग की आयु लंबी होगी.