रांची : सरकार ने वित्त विभाग के प्रधान की रिपोर्ट के आधार पर आइएएस अफसर मनोज कुमार के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में विधि विभाग की राय मांगी है. विधि विभाग की राय के बाद इस मामले में कार्रवाई संभव है. जल संसाधन विभाग के इस सहायक अभियंता को विशेष गोपनीय चारित्री के आधार पर आइएएस में प्रोन्नति की अनुशंसा की गयी थी.
जल संसाधन विभाग के इस इंजीनियर को आइएएस में प्रोन्नति के लिए अनुशंसा करने में गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आने का बाद सरकार ने वित्त विभाग के प्रधान सचिव अमित खरे को जांच का आदेश दिया था. उन्होंने मामले की जांच के बाद जुलाई में ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी. रिपोर्ट में यह कहा गया था कि जल संसाधन विभाग ने अनुशंसा करने के क्रम में कार्मिक विभाग के निर्देशों का उल्लंघन कर नियमित वार्षिक गोपनीय चारित्री (एसीआर) के बदले विशेष चारित्री (स्पेशल सीआर) को भी आधार बनाया था. हालांकि सक्षम अधिकारियों ने विशेष चारित्रियों के लिखे जाने के कारणों का कहीं उल्लेख नहीं था. एशियोर्ड कैरियर प्रोमोशन(एसीपी) के लिए लिखे गये विशेष चारित्री का इस्तेमाल आइएएस में नियुक्त करने की अनुशंसा में किया गया था.
अपना स्पेशल एसी आर खुद मनोज कुमार की लिखावट में है या नहीं इसकी पुष्टि के लिए फॉरेंसिक जांच की आवश्यक्ता बतायी गयी थी. इसमें कहा गया है कि मनोज कुमार 14 मार्च 2007 से पहले बिहार में पदस्थापित थे. पर, जल संसाधन विभाग में कार्यरत उपसचिव सुबोध कुमार ने मनोज कुमार के बिहार मेें ( 2003-04 से 2006-07 तक ) किये गये कार्यों का मूल्यांकन किया और विशेष चारित्री में ‘उत्तम’ लिखा. उन्होंने एक ही साथ छह साल (2003-09) के लिए गोपनीय चारित्री लिखी. मनोज कुमार के दोनों विशेष चारित्री में से किसी पर तीनों स्तर के अधिकारियों (रिपोर्टिंग, रिव्यूइंग,एक्सेपटिंग अथोरिटी) का हस्ताक्षर नहीं है. वित्त सचिव की रिपोरट के आलोक में सरकार ने विधि विभाग के राय मांगी है. सरकार ने विधि विभाग से यह जानना चाहा है कि रिपोर्ट में वर्णित तथ्यों के आधार पर मनोज कुमार के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई कर सकती है.