धनतेरस-दीपावली पर अचूक प्रयोग करेंहमारे धर्म में ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन यमराज के उद्दश्य से जो कोई भी दीप दान करेगा उसकी अाकस्मिक मृत्यु नहीं होगी. वस्तुत: यह यमराज से संबंध रखनेवाला व्रत है. धनतेरस के दिन सूर्यास्त होने पर घर के बाहर मुख्य द्वार पर एक मिट्टी के पात्र में अन्न (धान, गेहूं या जौ) रख कर उसके ऊपर यमराज के निमित दक्षिणामुखी दीप जलाना चाहिए तथा धूप, अगरबत्ती आदि से उसकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए. दीप प्रज्वलित करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए.‘मृत्युना पाषहस्तेन कालेन मार्याना सह।त्रयोदष्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीयतामिति।’जैसे देवताअों के राजा इंद्र हैं, गुरु वृहस्पति हैं इसी प्रकार निखिल ब्रह्मांडों के धनाधिपति धनाध्यक्ष कुबेर हैं यदि कोई व्यक्ति पिछले सात पीढ़ियों से धनाभाव, दरिद्रता व अपयश से पीड़ित हैं तो इस दीपावली पर कुबेर भंडारी का पोटली अवश्य तैयार करें. इससे जनमो की दरिद्रता दूर होती है. घर में अपार धन, ऐश्वर्य, संपदा, भवन, आभूषण, रत्न, वाहन, भूखंड व प्रतिष्ठा की प्राप्ति निश्चित होती है.जैसा नाम वैसा काम, जब लक्ष्मी की सारी साध़ाएं विफल हो जाये तब कुबेर पोटली की साधना मनुष्य को अपार धन दौलत प्रदान करती है. जहां पर इस पोटली में चैतन्य कुबेर यंत्र के सात मोती पंख के साथ स्थापित होगा, उस स्थान पर कुबेर का खजाना स्वयं चल कर आ जाता है. इसमें तनिक भी संशय नहीं है.ऐसे करें पोटली तैयार :लाल रंग के सितारे लगा हुआ चमचमाता थैला, एक अष्टधातु का कुबेर यंत्र, अष्टधातु श्रीयंत्र, लघु नारियल, दुर्लभ एकाक्षी नारियल, कमलगट्टे का कुछ दाना, 11 धन दायक चित्ती कौड़ी, 11 चमत्कारी गोमती चक्र, लक्ष्मी गणेश का सिक्का, दुर्लभ काली लाल गुंजा के कुछ दाने, मोती शंख में पीला अरवा चावल भर दें. सभी सामग्री को अभिमंत्रित चार्ज एवं उर्जीत करा कर ही प्राप्त करें. चार्ज किये हुए सामग्री की शक्ति कई गुणा बढ़ जाती है. बिना चार्ज एवं उर्जीत किये यह यंत्र अपना प्रभाव नहीं दिखा पाता है. ………………………कलयुग में कामधेनु अौर कल्पवृक्ष के समान है श्री संपूर्ण वास्तु यंत्रश्री संपूर्ण वास्तु यंत्र 24 कैरेट गोल्ड प्लेटिंग में बने होते हैं. शास्त्रों के विचार श्री संपूर्ण वास्तु यंत्र सैकड़ों शक्तियों का निवास होता है. श्री संपूर्ण यंत्रों के सर्वश्रेष्ठ हैं, प्रधान हैं, शिरोमणि है अौर भौतिक उन्नति में अदभुत आधार है. इस यंत्र को त्रिलोक्य मोहन अर्थात तीनों लोकों को मोहनेवाला कहा गया है. इस यंत्र में वशीकरण की शक्ति नीहित है. इस यंत्र केनित्य दर्शन करनेवाला व्यक्ति लक्ष्मी को तो मोह ही लेता है साथ ही अपने संपर्क में आनेवालों को वशीभूत कर लेता है. यह सर्व रक्षा कारक, सर्वव्याधि निवारक, सर्वकष्ट निवारक होने के कारण बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है.कुछ ऐसे यंत्र भी होते हैं, जिसके दर्शन मात्र से व्यक्ति अभिष्ट मोनरथ को पा लेता है. इस तरह के यंत्र में आते हैं श्री संपूर्ण यंत्र में एक साथ 13 यंत्रों की शक्तियां समाहित है, क्योंकि 13 यंत्र एक साथ 24 कैरेट गोल्ड प्लेटिंग पर यंत्र विधि विधान वास्तुकला अौर ज्योतिष विज्ञान दोनों के अनुसार तैयार किया गया है. यह यंत्र घर में किसी भी प्रकार के वास्तु दोष को दूर कर कुछ ही दिनों में चमत्कारी प्रभाव देता है. यह यंत्र अभियंत्रित के बाद विशेष प्रकार के गोल्डेन फ्रेमिंग में तैयार किया जाता है तो अौर प्रभावशाली हो जाता है. व्यवसाय, कार्यालय, उद्योग में भी श्री संपूर्ण व्यापार वृद्धि यंत्र लगावें अौर भीष्ण शत्रुता, कोर्ट, कचहरी अौर तंत्र प्रयोग से छुटकारा पाने के लिए श्री संपूर्ण बागला मुखी यंत्र इन तीनों यंत्र में एक साथ 13-13 यंत्र 24 कैरेट गोल्ड प्लेटिंग में समाहित है. इन तीनों यंत्र को दीपावली पूजन के उपरांत आप इसे घर, कार्यालय, उद्योग के पूजा स्थान या प्रवेश द्वार के सामने लगा कर लाभान्वित हो सकते हैं…………………दक्षिणावर्ती अौर मोती शंख का प्रयोगसागर मंथन के समय भगवती मां लक्ष्मी दक्षिणावर्ती शंख दोनों के उत्पत्ति सागर से हुई. इसी कारण शंख को लक्ष्मी का सहोदर भाई कहा जाता है. भगवान विष्णु की आज्ञा से सभी तीर्थ दक्षिणावर्ती अौर मोती शंख में निवास करते हैं. प्रसिद्ध है जिन भाग्यवानों के यहां दक्षिणावर्ती शंख अौर मोती शंष का जोड़ा होता है. वहां दरिद्रता, असफलता, हानि दूर हो जाती है. दक्षिणावर्ती शंख में जल कर भर कर घर के सदस्यों, वस्तुअों व कमरों में, बीमार व्यक्ति पर छिड़कने से पाप ग्रहों के प्रभाव, वास्तु जन्म दोष, ऊपरी बाधाअों के प्रकोप, दुर्भाग्य, शाप, ताप सभी बाधाएं नष्ट हो जाती हैं. इस शंख में दूध भर कर घर के कोई भी प्रतिष्ठित स्फटीक श्रीयंत्र शिवलिंग पर श्रद्धापूर्वक चढ़ाने से शीघ्र ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में वर्णित है कि शंख को मुंगे, स्फटीक व रूद्राक्ष की माला से इस मंत्र का दीपावली की रात्रि में कम से एक माला जाप करके शंख का विधिवत पूजा किया जाये तो धन समृद्धि, यश की प्राप्ति होती है. वंश वृद्धि के साथ-साथ पति-पत्नी के प्रेम में वृद्धि होती है.‘ऊँ ह्रीं श्रीं कलीं ब्लू सुदक्षिणावर्त मोती शंखाय नम:।।’’हत्थाजोड़ी अौर सियार सिंघी में मां चामुंड़े का वास होता है. अभिमंत्रित होने के बाद इसकी शक्ति असीमित हो जाती है. यदि धनतेरस और दीपावली के दिन आप हत्थाजोड़ी अौर सियारसिंगी प्राप्त हो जाये तो यह आपका भाग्य ही होगा. अन्यथा आप कभी भी किसी भी दिन इसे प्राप्त कर सकते हैं. खास कर इस बार धनतेरस सोमवार को है अौर दीपावली बुधवार को है. अगर इस दिन चार्ज एवं अभियंत्रित किया हुअा जिन भाग्यवानों को हत्थाजोड़ी अौर सियारसिंगी प्राप्त हो जाये, तो परम सौभाग्यशाली ही होंगे. इनको दीपावली की रात्रि में चांदी अथवा मेटल की डिब्बी में 11 लवंग अौर दो इलाइची तथा थोड़े कपूर के साथ दीपावली पूजन के साथ इनका भी पूजन करके रखें, तो उनके साथ लक्ष्मी छाया बन कर उस व्यक्ति पर कृपा बरसाती है. दुश्मन भी मित्र बन जायेगा. पदोन्नति में भी लाभदायक, किसी को भी वशीभूत कर कार्य करवा सकते हैं. यदि कारावास काट रहे व्यक्ति को बेल नहीं मिल रहा होतो उनके निमित हत्थाजोड़ी अौर सियारसिंगी के उनके निमित किया हुआ प्रयोग से तुरंत बेल मिलता है, इसमें थोड़ा भी संशय नहीं है.यदि आप वर्ष भर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद चाहते हैं, तो दीपावली की रात्रि में ठीक 12 बजे घी के दीपक जला कर अपने निवास के मध्य भाग में आकर रंगोली से एक चक्र बना कर उसके मध्य रोली से ‘श्रींं’ लिखें व 108 बार श्रीं का मानसिक रूप से उच्चारण कर मां लक्ष्मी से अपने घर में वर्षभर वास करने का निवेदन करें. एक दीप चक्र के बीच में अौर 10 दीप गोलाकार में रखें. दीपावली की रात्रि से 30 दिन तक मोती शंख बजाने से घर के समस्त वास्तु दोष दूर हो जाते हैं. यदि आप दीपावली पर दीप घर में अथवा बाहर जलायें तो शास्त्रों के अनुसार आपके दीपक की लौ उत्तर अथवा पूर्व में होना चाहिए. यदि घर में दीपक की लौ पूर्व दिशा की अोर जलती है तो धन की वृद्धि कराती है. यदि दीपक की लौ पश्चिम की अोर है, तो दु:ख का वृद्धि कराती है. यदि दीपक की लौ उत्तर की अोर हो तो स्वास्थ्य प्रशंसा की वृद्धि होती है. यदि आपके दीपक की लौ दक्षिण दिशा की अोर हो तो आपको हानि होने की सूचना देती है. दीपावली की रात्रि ‘ऊं नमो धनदायै स्वाहा’ मंत्र बोल कर 10 देसी घी का दीपक जलाने मां लक्ष्मी की कृपा से उनका व्यापार चलने लगता है. श्री यंत्र (स्फटीक) पर चंदन की अगरबती जला कर, धूपित कर, हवा में ही अगरबत्ती ‘श्री’ की आकृति 12 बार बना कर प्रणाम करता है अौर घर में पत्नी का सदा सम्मान करता है. उस घर पर मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है.(लेखक वास्तुविद विमलेश कुमार हैं अौर सैनिक बाजार मेन रोड रांची स्थित वास्तु फेंगशुई ग्रह रत्न के संचालक हैं)
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धनतेरस-दीपावली पर अचूक प्रयोग करें
धनतेरस-दीपावली पर अचूक प्रयोग करेंहमारे धर्म में ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन यमराज के उद्दश्य से जो कोई भी दीप दान करेगा उसकी अाकस्मिक मृत्यु नहीं होगी. वस्तुत: यह यमराज से संबंध रखनेवाला व्रत है. धनतेरस के दिन सूर्यास्त होने पर घर के बाहर मुख्य द्वार पर एक मिट्टी के पात्र में अन्न […]
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