राज्य के सभी नागरिकों को उनके अधिकार मिले : राज्यपाल राजभवन में पांचवीं अनुसूची के राज्य के अधिसूचित क्षेत्रों के विधायकों के साथ बैठकविस्थापन व पुनर्वास राज्य की सबसे बड़ी समस्या : मुख्यमंत्रीभूमि खरीद-बिक्री में बिचौलियों पर लगेगा अंकुश : सीपी सिंहमुख्य संवाददाता, रांची राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा कि राज्य के सभी नागरिकों को उनका अधिकार प्राप्त हो, उन्हें बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सभी बुनियादी सुविधाएं प्राप्त हों. अधिसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की अपेक्षित प्रगति हो. इसके लिए सांसदों, विभागीय प्रधान सचिवों/सचिवों, समाजसेवियों एवं पत्रकारों से भी राय ली जायेगी. राज्य तीव्र गति से विकास के पथ पर अग्रसर हो, यही उनकी इच्छा है. उनके पास मुख्य रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य व भूमि हस्तांतरण से संबंधित शिकायतें मिलती हैं. इसका निबटारा जरूरी है. राज्यपाल मंगलवार को संविधान में पांचवीं अनुसूची के राज्य के अधिसूचित क्षेत्रों के विधायकों के साथ बैठक कर रही थीं. इसमें अनुसूचित क्षेत्रों में विभिन्न विकास कार्यों, परियोजनाओं के लिए अर्जित की गयी भूमि से हुए विस्थापन एवं परियोजनाओं की स्थापना से विस्थापितों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव तथा वहां चलायी जा रही विभिन्न कल्याणकारी एवं विकास योजनाओं के क्रियान्वयन से जनजीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के सबंध में चर्चा की गयी. बैठक में मुख्यमंत्री रघुवर दास, मंत्री सीपी सिंह, मंत्री डॉ लुईस मरांडी, मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी भी मुख्य रूप से उपस्थित थे. राज्यपाल ने कहा कि उन्हें समय-समय पर राष्ट्रपति भवन को अधिसूचित क्षेत्रों के संबंध में प्रतिवेदन समर्पित करना पड़ता है. इसलिए वे जमीनी समस्याओं से अवगत होने एवं उनके समाधान के लिए उपाय व सुझाव जानना चाहती हैं. इस अवसर पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि हमारे राज्य में विस्थापन एवं पुनर्वास एक बड़ी समस्या के रूप में पूर्व से ही विद्यमान है. परिवार में आपसी तालमेल नहीं होने के कारण मुआवजा से संबंधित बहुत से मामले लंबित हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों से अधिक से अधिक संपर्क स्थापित कर उनकी समस्याओं को जानकर उनका निदान करने की दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए. ऐसा करने से जनप्रतिनिधि के प्रति लोगों में विश्वास बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि यह भी सत्य है कि शहर के सामान्य लोग भी थाने में शिकायत दर्ज कराने के लिए जाने से कतराते हैं. पुलिस शासक नहीं सेवक बनकर कार्य करे. उन्होंने कहा कि कुपोषण एक गंभीर चुनौती है. इस दिशा में सरकार द्वारा मानदेय के आधार पर पोषण सखी की नियुक्ति करने की योजना है. मुख्यमंत्री ने नशामुक्ति के लिए सभी को पहल करने का आग्रह किया तथा इस दिशा में सभी दलगत भावना से ऊपर उठकर जागरूक करने का कार्य करने की बात कही. उन्होंने कहा कि युवाओं को रोजगार सुलभ कराने के लिए राज्य में औद्योगिक प्रतिष्ठिानों की स्थापना आवश्यक है. किसानों को कृषि कार्य के साथ-साथ बागवानी एवं पशुपालन के लिए भी जागरूक करने की आवश्यकता है. ताकि किसानों का आर्थिक विकास हो सके. सिंचाई के लिए डैम की आवश्यकता की बात भी कही. नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि नशा आज राज्य के लोगों के विकास में बहुत बड़ा बाधक है. डायन प्रथा, छुआछूत जैसी समाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए व्यापक पैमाने पर जागरूकता फैलाने की बात कही. उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि हाल ही में नगर विकास विभाग द्वारा सिटी मैनेजर के पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन 22 पद पर भी नियुक्ति नहीं हो सकी . इसमें अधिकांश अनुसूचित जनजाति श्रेणी के पद थे. इसके मूल कारण यह है कि इन श्रेणी के लोग आवश्यकतानुसार अहर्ताओं का पालन नहीं कर रह थे. उन्होंने प्रत्येक आदिवासी छात्रवास में रसोइया की व्यवस्था के लिए कहा, ताकि छात्र बेहतर ढंग से शिक्षा प्राप्त कर सके. मंत्री ने कहा कि हमारे राज्य में सीएनटी अधिनियम का अक्षरश: सख्ती से पालन होना चाहिए. ग्रामीण क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति श्रेणी के एक ऐसे पदाधिकारी रहें जो वहां के रीति रिवाजों और संस्कृति से अवगत हों. उन्होंने भूमि खरीद-बिक्री में बिचौलियों की भूमिका पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस पर अंकुश लगाया जायेगा. मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने कहा कि इस बार प्री प्लानिंग बजट निर्माण का कार्य किया जा रहा है. उन्होंने सभी विधायकों से कहा कि उनकी दृष्टि में राज्य में जो भी समस्याएं हों, वह लिखित रूप में दें, ताकि बजट में इस संदर्भ में उपबंध किया जा सके. अधिसूचित क्षेत्रों में आवासीय विद्यालयों के निर्माण की भी बात कही.स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने राज्यपाल का राज्य के विकास के प्रति अत्यंत गंभीर होकर इस प्रकार की बैठक आयोजित करने के लिए आभार प्रकट किया तथा विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी. बैठक में विधायक डॉ स्टीफन मरांडी, मेनका सरदार, ताला मरांडी, दीपक बिरूआ, अनंत कुमार ओझा, अनिल मुरमू, बादल पत्रलेख, कुणाल षाड़ंगी, लक्ष्मण टुडू, रामचंद्र सहिस, साधूचरण महतो, निरल पूर्ति, गीता कोड़ा, जोबा मांझी, पौलुस सुरीन, रामकुमार पाहन, नवीन जायसवाल, जीतूचरण राम, गंगोत्री कुजूर, शिवशंकर उरांव, विमला प्रधान, हरिकृष्ण सिंह, रवींद्र नाथ महतो आदि ने विकास एवं जनसमस्याओं से संबंधित अपने विचार रखे.
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राज्य के सभी नागरिकों को उनके अधिकार मिले : राज्यपाल
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